‘मिशन मून’ के बाद अब ‘मिशन सन’ की बारी, जानिए ISRO की क्या है तैयारी?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो का ‘मिशन मून’ के बाद अगला कदम ‘मिशन सन’ है। चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो की योजना अगले साल की पहली छमाही में यानी 2020 के मध्य तक सूरज मिशन आदित्य-एल-1 को अंजाम देने की है। स्पेस एजेंसी के मुताबिक सोलर मिशन का मकसद सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो का ‘मिशन मून’ के बाद अगला कदम ‘मिशन सन’ है। चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो की योजना अगले साल की पहली छमाही में यानी 2020 के मध्य तक सूरज मिशन आदित्य-एल-1 को अंजाम देने की है। स्पेस एजेंसी के मुताबिक सोलर मिशन का मकसद सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना है।
कोरोना का तापमान 300 गुना ज्यादा क्यों है?
सोलर मिशन के बारे में जानकारी साझा करते हुए इसरो ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि आदित्य-एल-1 मिशन का मकसद सूरज के कोरोना यानी बाहरी परत का अध्ययन करना है, जो हजारों किलोमीटर क्षेत्र में फैली हैं। चंद्रयान-2 के बाद इसरो के इस मिशन का मकसद सूर्य के सतह के तापमान 6000 कैलविन से कोरोना का तापमान 300 गुना ज्यादा क्यों है? इसका पता लगाना है, जबकि कोरोना इससे काफी ऊपर है।
तेजोमंडल का विश्लेषण देगा ‘आदित्य-एल-1’
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख के. सिवन ने बताया कि आदित्य-एल1 पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी की दूरी पर स्थित होगा। वहां से यह हमेशा सूर्य की ओर देखेगा। सूर्य की इस बाहरी परत ‘तेजोमंडल’ का विश्लेषण देगा। इसका क्लाइमेट चेंज पर इसका खासा प्रभाव है।
कई अध्ययन कर सकता है ‘आदित्य-एल-1’
इसरो के रिपोर्ट के मुताबिक आदित्य-एल-1, सूर्य के फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और तेजोमंडल का अध्ययन कर सकता है। यह सूर्य से निकलने वाले विस्फोटक कणों का अध्ययन भी किया जाएगा। इसरो के अनुसार यह कण पृथ्वी के नीचे वाले ऑरबिट में किसी काम के नहीं होते। इन्हें पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से बाहर रखने की जरूरत है।
सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ ''चंद्रयान-2’
इससे पहले सोमवार को चंद्रयान-2 दोपहर 2.43 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च हुआ। प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद ही यान सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया। इसे भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया गया। इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान हैं। इस मिशन के तहत इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारेगा।
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