दो साल बाद राबड़ी बनीं नेता प्रतिपक्ष, विधान परिषद के कार्यकारी सभापति ने स्वीकार किया जगदानंद सिंह का अनुरोध
बिहार में स्थानीय निकाय कोटे से हाल में हुए विधान परिषद के चुनाव में छह सीटों पर मिली सफलता से विधान परिषद में भी राजद को नेता प्रतिपक्ष का पद मिल गया। परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल की नेत्री राबड़ी देवी को बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने का निर्देश जारी कर दिया है। इसी के साथ विधान मंडल के दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा राजद को मिल गया।
बिहार में स्थानीय निकाय कोटे से हाल में हुए विधान परिषद के चुनाव में छह सीटों पर मिली सफलता से विधान परिषद में भी राजद को नेता प्रतिपक्ष का पद मिल गया। परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल की नेत्री राबड़ी देवी को बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने का निर्देश जारी कर दिया है। इसी के साथ विधान मंडल के दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा राजद को मिल गया।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजद विधायक तेजस्वी यादव हैं। राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह की अनुशंसा पर परिषद के कार्यकारी सभापति की सहमति के बाद बुधवार को इसकी अधिसूचना जारी की गई है। विधान परिषद चुनाव के बाद राजद की संख्या परिषद में नेता प्रतिपक्ष के लायक हो गई। पार्टी के परिषद में पहले कुल पांच सदस्य ही थे। परिषद के सदस्यों की संख्या के हिसाब से नेता प्रतिपक्ष के लिए दस प्रतिशत यानी सदस्यों की संख्या आठ होनी चाहिए।
हाल ही में निकाय कोटे से हुए चुनाव के बाद परिषद में अब राजद सदस्यों की संख्या 11 हो गई है। लिहाजा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की अनुशंसा के आलोक में परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने राबड़ी देवी को नेता प्रतिपक्ष का पद देने का निर्देश जारी कर दिया। परिषद के इस फैसले पर पार्टी प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव, चितरंजन गगन और एजाज अहमद ने प्रसन्नता व्यक्त की है।
दो साल पहले छिना था विपक्षी नेता का दर्जा
राबड़ी देवी से लगभग दो साल पहले विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा छिन गया था। तब उनकी पार्टी के पांच विधान पार्षदों ने दल बदल लिया था। इसके बाद सदन में राजद के सिर्फ पांच सदस्य बचे थे। नियम के अनुसार विपक्ष के नेता का दर्जा हासिल करने के लिए 8 सदस्य होना जरूरी है। हाल ही में हुए चुनाव के बाद राजद के सदस्यों की संख्या बढ़ गई है। जिससे राबड़ी को उनका दर्जा वापस मिल गया है।
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