जानिए, कितना पुराना है सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध का मामला?
केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रत्बंध का मामला दो दशक पुराना है। 29 साल पहले 1990 में मंदिर परिसर में 10-50 साल के बीच की उम्र की महिलाओं के प्रवेश का मामला सामने आया। इन्हें रोकने के लिए केरल उच्च न्यायालय में याचिका लगाई गई।
सबरीमाला मसले पर फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर नहीं,बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा. अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए।
वास्तव में केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रत्बंध का मामला दो दशक पुराना है। 29 साल पहले 1990 में मंदिर परिसर में 10-50 साल के बीच की उम्र की महिलाओं के प्रवेश का मामला सामने आया। इन्हें रोकने के लिए केरल उच्च न्यायालय में याचिका लगाई गई।
अदालत ने सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की सदियों पुरानी परंपरा को सही ठहराया। दरअसल, 2006 में कन्नड़ अभिनेत्री जयमाला ने दावा कि उन्होंने 1987 में भगवान अय्यप्पा के दर्शन किए। मंदिर प्रमुख ने कहा था कि भगवान नाराज हैं, क्योंकि मंदिर में युवा महिला आई थी।
2007 में केरल की लेफ्ट की सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर यंग लॉयर एसोसिएशन की याचिका के समर्थन में हलफनामा दाखिल किया। फरवरी 2016 में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार आई तो महिलाओं को प्रवेश देने की मांग से पलट गई। कहा कि परंपरा की रक्षा होनी चाहिए। 2017 में सर्वोच्च अदालत ने मामला संविधान पीठ को सौंप दिया। 28 सितंबर 2018 को शीर्ष अदालत ने महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी।
केरल के राजपरिवार और मंदिर के मुख्य पुजारियों समेत कई हिंदू संगठनों ने शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। सबरीमाला कार्यसमिति ने आरोप लगाया था कि सर्वोच्च अदालत ने सभी आयु की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देकर उनके रीति-रिवाज और परंपराओं को नष्ट किया। मान्यता है कि 12वीं सदी के भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी हैं। जिसकी वजह से मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं का प्रवेश वर्जित किया गया है।
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