जानिए एक जज ने प्रधानमंत्री को पत्र में क्या लिखा ?
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्ययाधीश जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्तियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। जस्टिस पांडेय ने इस पत्र के माध्यम से कहा है कि न्यायाधीशों की नियुक्तियों के लिए कोई निश्चित मापदंड नहीं है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्ययाधीश जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्तियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। जस्टिस पांडेय ने इस पत्र के माध्यम से कहा है कि न्यायाधीशों की नियुक्तियों के लिए कोई निश्चित मापदंड नहीं है। प्रचलित कसौटी केवल परिवारवाद और जातिवाद से ग्रसित है। न्यायपालिका की गरिमा को बरकरार रखने के लिए सख्त फैसले लेना जरूरी है। जस्टिस रंगनाथ पांडेय इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच के जज हैं।
जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने अपने पत्र में पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकसभा 2019 चुनाव में मिली जीत पर बधाई दी है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि इस जीत ने राजनीति से वंशवाद का अंत कर दिया है। पत्र में उन्होंने इस बात का उल्लेख भी किया है कि मैंने अपने अनुभव से यह महसूस किया है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कई विसंगतियां हैं, जिनकी ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराना मैं अपना धर्म समझता हूं और भारी मन से यह पत्र मैं आपको लिख रहा हूं।
जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने लिखा है कि देश में न्यायपालिका का बहुत सम्मान है और यह लोकतंत्र का आधार है। लेकिन न्यायपालिका में जातिवाद और वंशवाद घर कर गया है। यहां न्यायाधीशों की नियुक्ति जाति और परिवार के आधार पर होती है, ना कि योग्यता के आधार पर।
कुछ उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि राजनेताओं को जनता की अदालत में अपनी योग्यता साबित करनी होती है, प्रशासनिक अधिकारियों को प्रतियोगिता परीक्षा देनी होती है। निचली अदालतों के जज प्रतियोगिता परीक्षा देकर चुने जाते हैं, लेकिन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। लिहाजा, यहां स्थिति यह है कि नियुक्ति परिवार और जाति के नाम पर हो रही है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि देश से भ्रष्टाचार, वंशवाद और भाई-भतीजावाद को जड़ से खत्म करने की प्रण लेने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर क्या कार्रवाई करते हैं। क्योंकि जज द्वारा लगाया गया यह आरोप बेहद संगीन है। आज न्यायापालिका खुद कटघरे में है। लिहाजा, प्रधानमंत्री आवश्यक रूप से कार्रवाई करेंगे।
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