जानें अरुण जेटली ने अपने जीवन में क्या लिए अहम फैसले?

अरुण जेटली ने 26 मई 2014 को वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का कार्यभार संभाला। उन्होंने खासतौर पर इकोनॉमी को लेकर कई बड़े फैसले किए। जेटली के सबसे बड़े सुधार में जीएसटी का नाम सबसे ऊपर आएगा। सालों से अटका ये आर्थिक सुधार आखिरकार नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के समय ही सच हो पाया।

जानें अरुण जेटली ने अपने जीवन में  क्या लिए अहम फैसले?
Pic of Ex Finance Minister Arun Jaitaley
जानें अरुण जेटली ने अपने जीवन में  क्या लिए अहम फैसले?
जानें अरुण जेटली ने अपने जीवन में  क्या लिए अहम फैसले?
जानें अरुण जेटली ने अपने जीवन में  क्या लिए अहम फैसले?

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने अपने जीवन में अनेक महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। आइए बिन्दूवार नजर दालते हैं उनके द्वारा लिए गए फैसलों के साथ-साथ उनके राजनीतिक जीवन पर। 

अरुण जेटली द्वारा लिए गए अहम फैसले

* 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस विचार पर सहमति जताई थी कि धर्म के आधार पर आरक्षण खतरनाक है। उन्होंने धर्म के आधार पर आरक्षण खत्म करने की बात कही थी।

* नवंबर 2015 में जेटली ने विवाह और तलाक को नियंत्रित करने वाले व्यक्तिगत कानून, मौलिक अधिकारों के अधीन होने चाहिए।

*  सितंबर 2016 में आय घोषणा योजना शुरू की।

*  8 नवंबर 2016 को उनके वित्त मंत्री के कार्यकाल में सरकार ने 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोटों को प्रतिबंधित किया था। इसका मकसद भ्रष्टाचार, काले धन, नकली मुद्रा और आतंकवाद से लड़ना बताया गया था।

*  जीएसटी के जरिए देश में नई कर व्यवस्था लागू कराई।

अरुण जेटली का राजनीतिक जीवन

2018 - मार्च 2018 में वह उत्तर प्रदेश से चौथी बार राज्यसभा सांसद चुने गए।
2017- 13 मार्च 2017 से 3 सितंबर 2017 तक रक्षामंत्री रहे।
2014 - 27 मई 2014 से 9 नवंबर 2014 तक उन्हें रक्षामंत्री का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया।
2014 - 27 मई 2014 से 14 मई 2018 तक वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली।
2014 - 02 जून 2014 राज्यसभा में नेता सदन बनाए गए।
2014 - 09 नवंबर 2014 से 05 जुलाई 2016 तक केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे।
2012 - अरुण जेटली तीसरी बार राज्यसभा के लिए चुने गए।
2012 - जून 2012 से नवंबर 2012 तक लोकपाल और लोकायुक्त बिल के लिए गठित राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी के सदस्य रहे।

2009 - अगस्त 2009 से मई 2014 तक संसद परिसर में नेताओं के चित्र और मूर्ति लगाने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य रहे।
2009 - 03 जून 2009 से 02 अप्रैल 2012 तक वाणिज्य समिति के सदस्य रहे।
2009 - 03 जून 2009 से 26 मई 2014 तक राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता रहे।
2006 - अगस्त 2006 से दिसंबर 2009 तक लाभ के पद की कानूनी और संवैधानिक की जाच करने के लिए गठित संयुक्त समिति के सदस्य रहे।
2006 - अप्रैल 2006 में दूसरी बार राज्यसभा सदस्य चुने गए।
2006 - जनवरी 2006 से जुलाई 2010 तक इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स के सदस्य रहे।
2004 - अक्टूबर 2004 से मई 2009 के बीच गृह मंत्रालय के लिए गठित परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे।
2004 - अगस्त 2004 से मई 2009 तक वाणिज्यिक समिति के सदस्य रहे।

2004 - अगस्त 2004 से जुलाई 2009 के बीच विशेषाधिकार समिति के सदस्य रहे।
2003 - 29 जनवरी 2003 से 21 मई 2004 तक कानून एवं न्याय मंत्री रहे। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की भी अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई।
2003 - 29 जनवरी 2003 को विदेश मामलों और गृह मामलों के लिए गठित समितियों के सदस्य के रूप में नियुक्त हुए।
2001 - 20 मार्च 2001 से 01 सितंबर 2001 तक जहाजरानी मंत्रालय (Ministry of Shipping) का अतिरिक्त कार्यभार संभाला।
2000 - 07 नवंबर 2000 से 01 जुलाई 2002 जेटली को प्रमोट कर कैबिनेट में शामिल किया गया। उन्हें कानून, न्याय और कंपनी मामलों का मंत्री बनाया गया।
2000 - 23 जुलाई 2000 से 06 नवंबर 2000 तक जेटली को कानून, न्याय और कंपनी मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का कार्यभार सौंपा गया।
2000 - अप्रैल 2000 में पहली बार राज्य सभा के लिए चुने गए।


1999 - 10 दिसंबर 1999 से जुलाई 2000 के बीच पहली बार बनाए गए विनिवेश मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का अतिरिक्त प्रभार संभाला।
1999 - 13 अक्टूबर 1999 से 30 सितंबर 2000 के बीच सूचना प्रसारण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे।
1999 - लोकसभा चुनावव से ठीक पहले राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए।
1991 - अरुण जेटली भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने।
1990 - जनवरी 1990 में वह दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बनाए गए।
1989 - भारत सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाए गए और एक वर्ष तक इस पद पर बने रहे।


1977 - अरुण जेटली जनसंभ में शामिल हुए और बाद में एबीवीपी के अखिल भारतीय सचिव नियुक्त किए गए।
1975 - आपातकाल का विरोध करने पर मिसा कानून के तहत 19 महीनों के लिए हिरासत में लिए गए।
1974 - दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए।
1970 - भाजपा की यूथ विंग एबीवीपी में शामिल हुए। 1973 में वह जय प्रकाश नारायण द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू किए गए आंदोलन के प्रमुख नेताओं में थे