जानिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को क्या दिया भरोसा?
7वीं लोकसभा सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में सक्रिय विपक्ष महत्वपूर्ण होता है। विपक्ष को अपने संख्याबल के बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है, उसे सक्रियता से बोलने और सदन की कार्यवाही में भागीदारी करने की आवश्यकता है।
नवगठित लोकसभा का पहला सत्र सोमवार को शुरू हो गया है। 17वीं लोकसभा सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में सक्रिय विपक्ष महत्वपूर्ण होता है। विपक्ष को अपने संख्याबल के बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है, उसे सक्रियता से बोलने और सदन की कार्यवाही में भागीदारी करने की आवश्यकता है। सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री ने ने उम्मीद जताई कि यह सत्र एक सार्थक सत्र होगा।
मीडिया से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद में हमें ‘पक्ष’ और ‘विपक्ष’ भूल जाना चाहिए और ‘निष्पक्ष भाव’ से मुद्दों के बारे में सोचना चाहिए। देश के व्यापक हित में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज नए संविधान से परिचय का समय है। हम नए उत्साह और नई उमंग के साथ काम करेंगे। जनता ने हमें काम करने का अवसर दिया है। जनता की आशाओं और आकाक्षांओं हम पूरा करेंगे। जनता ने सबका साथ-सबका विश्वास में बहुत आत्मविश्वास भरा। हमारे लिए विपक्ष की हर बात और हर भावना मूल्यवान है। हम सब मिलकर आने वाले पांच सालों में इस सदन की गरिमा को और बढ़ाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों से आग्रह किया कि वे जब सदन में हों तो देश के बारे में सोचें और राष्ट्र के व्यापक हित से जुड़े मुद्दों का समाधान करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम संसद आते हैं, तो हमें पक्ष और विपक्ष को भूल जाना चाहिए। हमें निष्पक्ष भावना के साथ जनता के जुड़े मुद्दों के बारे में सोचना चाहिए और राष्ट्र के व्यापक हित में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा अनुभव कहता है कि जब संसद निर्बाध रूप से चलती है तो हम भारत के लोगों की अनगिनत आकांक्षाओं को पूरा कर पाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ विपक्षी सांसद बहस को बहुत प्राणवान बनाते हैं। कुछ सांसद बहुत अच्छे विचार रखते हैं, लेकिन ज्यादातर वो रचनात्मक होते हैं और टीआरपी का मेल नहीं होता। लेकिन टीआरपी से ऊपर बहुत तर्कवत कोई सदन में सरकार की आलोचना भी करता है, तो उससे हमें बल मिलेगा। 5 साल तक इस भावना को पूरा करने में प्रिंट और इवेक्ट्रॉनिक मीड़िया भी सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। अगर सकारात्मकता को बल देंगे तो सकारात्मकता की दिशा में जाने में बल मिलेगा।
Comments (0)