छपरा के लाल कृष्ण कुमार ने किया कमाल,बीपीएससी में हासिल की 86वीं रैंक,मदन प्रसाद ने लिट्टी-चोखा बेचकर बेटे को बनाया डीएसपी
कृष्ण कुमार के पिता मदन प्रसाद गुप्ता और उनकी पत्नीह दुर्गावती देवी छपरा के नई बाजार अस्पताल चौक पर रहते हैं। मदन प्रसाद लिट्टी-चोखा बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। गरीबी और मुफलिसी की जिंदगी में भी मदन प्रसाद ने अपने बेटे कृष्ण कुमार की पढ़ाई-लिखाई में कोई कमी नहीं की। कृष्ण कुमार ने भी मेहनत से कभी जी नहीं चुराया। कृष्ण कुमार ने बीपीएससी की 63 वीं परीक्षा में 86वीं रैंक लाकर अपने माता-पिता के सपनों को पूरा किया। वह डीएसपी बन गए ।
बुलंद हौसले से आसमन की ऊंचाईयों को भी छूआ जा सकता है। हौसले बुलंद हों, तो हर मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। बुलंद हौसले और लगन के साथ की गई मेहनत कभी जाया नहीं जाती है और इसका परिणाम हमेशा सुखद होता है। मेहनत के आगे गरीबी भी कभी बाधा नहीं बनती है और इस सब कर दिखाया है बिहार के जिला छपरा के रहनेवाले एक शख्स और उनसे होनहार बेटे ने। जी हां, बिहार के छपरा में लिट्टी-चोखा बेचकर माता-पिता ने जिस अरमान से अपने बेटे को पढ़ाया-लिखाया, उसे बेटे ने पूरा कर दिखाया। छपरा के लाल कृष्णर कुमार ने अपने गांव और शहर का नाम रोशन किया है।
कृष्णक कुमार ने बीपीएससी में सफलता हासिल कर डीएसपी बन गए हैं। कृष्णे कुमार को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार और सगे-संबंधी कृष्णा कुमार और उनके माता-पिता को भी बधाई दे रहे हैं। कृष्णम कुमार के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। कृष्णी के माता-पिता अपने बेटे की सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं।
वास्तव में कृष्णि कुमार के पिता मदन प्रसाद गुप्ता और उनकी पत्नीह दुर्गावती देवी छपरा के नई बाजार अस्पताल चौक पर रहते हैं। मदन प्रसाद लिट्टी-चोखा बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। गरीबी और मुफलिसी की जिंदगी में भी मदन प्रसाद ने अपने बेटे कृष्ण कुमार की पढ़ाई-लिखाई में कोई कमी नहीं की। जरूरत के हिसाब से जब, जितने रुपये पैसों की जरूरत पड़ी मदन प्रसाद ने दी। कृष्ण। कुमार ने भी मेहनत से कभी जी नहीं चुराया। इसका परिणाम सुखद रहा। मदन प्रसाद के बेटे कृष्ण कुमार ने बीपीएससी की 63 वीं परीक्षा में 86वीं रैंक लाकर अपने माता-पिता के सपनों को पूरा किया। वह डीएसपी बन गए।
कृष्ण कुमार सफलता मिलने पर काफी खुश हैं और बताते हैं कि पिता ने संघर्ष कर उन्हें पढ़ाया-लिखाया है। परिणाम सुखद रहा। उन्हें सफलता मिली। उन्होंंने बताया कि पिछले साल 60-62वीं बीपीएससी परीक्षा में राजस्व अधिकारी के रूप में उनका चयन हुआ था। नौकरी ज्वांइन करने के बाद परिवार को आर्थिक रूप से मजबूती मिली।
कृष्ण कुमार ने बताया कि राजस्वी अधिकारी से वे संतुष्टर नहीं थे। इसलिए फिर से रैंक सुधारने के लिए एग्जााम दिया और इस बार उनका डीएसपी पद पर चयनित हुआ हूं। अब वे आइएएस बनने के लिए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करेंगे।
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