आइए जानते हैं, कैसे काम करती है हमारी सरकार?
द इंडिया प्लस न्यूज के माध्यम से आज हम आपको बेहद आसान भाषा में समझाने जा रहे हैं कि मंत्रिमंडल और मंत्री परिषद में क्या अंतर है? एक नई सरकार के गठन की प्रक्रिया क्या होती है? कितने लोग एक सरकार में मंत्री बन सकते हैं? कैबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री में क्या अंतर है? इन सवालों को समझना देश के लोकतंत्र को समझने के लिए बेहद जरूरी है।
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी और एनडीए की जबर्दस्त जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र की कैबिनेट का गठन हो गया है। मंत्रियों के बीच विभागों को बंटवारा भी हो गया है। प्रधानमंत्री समेत सभी मंत्री अगले एक दो दिनों में पद भार भी ग्रहण कर लेंगे। परंतु देश की संसदीय प्रणाली के कुछ बुनियादी सवाल हैं जिसे आम लोग जानते तो हैं लेकिन समझते कम हैं। द इंडिया प्लस न्यूज के माध्यम से आज हम आपको बेहद आसान भाषा में समझाने जा रहे हैं कि मंत्रिमंडल और मंत्री परिषद में क्या अंतर है? एक नई सरकार के गठन की प्रक्रिया क्या होती है? कितने लोग एक सरकार में मंत्री बन सकते हैं? कैबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री में क्या अंतर है? इन सवालों को समझना देश के लोकतंत्र को समझने के लिए बेहद जरूरी है।
लोकसभा में बहुमत के लिए कितने सासंदों की जरूरत होती है?
543 सीटों वाली लोकसभा में आम चुनावों के बाद जो राजनीतिक दल या गठबंधन बहुमत का आंकड़ा हासिल करता है, वह सरकार बनाने का दावा पेश करता है। भारत की लोकसभा में बहुमत हासिल करने के लिए 272 सासंदों की जरूरत होती है। 2019 के चुनाव में बीजेपी को अकेले ही बहुमत से अधिक सीटें मिली हैं, लेकिन बीजेपी एनडीए गठबंधन का अगुआ है इसलिए एनडीए ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है। बहुमत का आंकड़ा जुटाने के बाद संसदीय दल के नेता का चुनाव होता है। एक पार्टी या गठबंधन के सभी सांसदों की सहमति से संसदीय दल के नेता का चुनाव होता है। जैसे आपने देखा होगा कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले बीजेपी की संसदीय दल का नेता चुना गया और उसके बाद एनडीए के संसदीय दल का नेता चुना गया।
संसदीय दल का नेता राष्ट्रपति से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करता है। राष्ट्रपति संसदीय दल के नेता को सरकार बनाने का न्योता देते हैं और शपथ ग्रहण का आयोजन करते हैं। प्रधानमंत्री अपने साथ शपथ लेने वाले मंत्रियों की लिस्ट राष्ट्रपति को शपथ ग्रहण से पहले सौंपते हैं। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के साथ मंत्री परिषद को शपथ दिलाते हैं, जिसमें कैबिनेट मंत्री भी शामिल होते हैं, जिनको मंत्रिमंडल भी कहा जाता है। इसके बाद नई सरकार का शपथ ग्रहण होता है। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हो जाती। राष्ट्रपति उसके बाद संसद का सत्र बुलाते हैं, जिसमें प्रधानमंत्री को लोकसभा में बहुमत साबित करना होता है। बहुमत साबित करने के बाद नई सरकार का गठन ठोस तौर पर हो जाता है। किसी भी किस्म के विवाद की स्थिति में राष्ट्रपति कानूनी सलाह ले सकते हैं।
मंत्री परिषद क्या है?
मंत्री परिषद में सभी मंत्री आते हैं। सरकार में शपथ लेने वाले सभी मंत्री, मंत्री परिषद का हिस्सा होते हैं। इसे आप ऐसे समझिए कि एक सरकार के सभी मंत्रियों के समूह को मंत्री परिषद कहते हैं। मंत्री परिषद में कैबिनेट के अलावा स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री और राज्यमंत्री भी आते हैं। हमारे संविधान के अनुच्छेद 74 में मंत्री परिषद के गठन के बारे में उल्लेख किया गया है, जबकि अनुच्छेद 75 मंत्रियों की नियुक्ति, उनके कार्यकाल, जिम्मेदारी, शपथ, योग्यता और मंत्रियों के वेतन एवं भत्ते से संबंधित है।
मंत्रिमंडल क्या है?
मंत्रिमंडल को संविधान के अनुच्छेद 352 में 1978 के 44वें संविधान संशोधन द्वारा शामिल किया गया था। इसलिए यह संविधान के मूल स्वरूप में शामिल नहीं थी। अनुच्छेद 352 में इसकी व्याख्या इस प्रकार से की गई है- “प्रधानमंत्री एवं अन्य कैबिनेट मंत्रियों की परिषद्, जिन्हें अनुच्छेद 75 के अन्तर्गत नियुक्त किया जाता है”, इसके कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन संविधान में नहीं किया गया है। मंत्रिमंडल को कैबिनेट भी कहते हैं। यह सरकार का सबसे ताकतवर अंग होता है। इसमें सरकार के सभी शीर्ष मंत्री शामिल होते हैं। सरकार के फैसले कैबिनेट ही करती है। इसमें प्रधानमंत्री के अलावा सभी कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं। कैबिनेट भी मंत्री परिषद का हिस्सा है। कैबिनेट की बैठक आम तौर पर हर हफ्ते होती है, जिसमें सरकार कानून बनाने से लेकर अध्यादेश लाने तक के फैसले करती है।आप सभी के लिए यह जानना भी जरूरी है कि किसी भी सरकार के मंत्री परिषद में तीन दर्जे यानी रैंक के मंत्री होते हैं। कैबिनेट मंत्री, स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री और राज्यमंत्री। राज्यमंत्री को जूनियर मिनिस्टर भी कहा जाता है।
कैबिनेट मंत्री क्या और कैसे काम करते हैं?
मंत्रिमंडल का हिस्सा कैबिनेट मंत्रियों के पास एक या उसे आवंटित सारे मंत्रालय की पूरी जिम्मेदारी होती है। सरकार के सभी फैसलों में कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं। सामान्य तौर पर हर सप्ताह कैबिनेट की बैठक होती है। सरकार कोई भी फैसला, अध्यादेश, नया कानून, कानून संसोधन वगैरह कैबिनेट की बैठक से ही पास करती है। अंग्रेजी में कैबिनेट मंत्री को सीनियर मिनिस्टर भी कहते हैं।
स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री कैसे काम करते है?
मंत्री परिषद का हिस्सा, स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों के पास आवंटित मंत्रालय और विभाग की पूरी जवाबदेही होती है। लेकिन वो आम तौर पर कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हो सकते। कैबिनेट इनको उनके मंत्रालय या विभाग से संबंधित मसलों पर चर्चा और फैसलों के लिए खास मौकों पर बुला सकता है।
राज्यमंत्रियों का क्या काम होता है?
हिस्सा राज्य मंत्री को अंग्रेजी बोलचाल में जूनियर मिनिस्टर भी कहते हैं। राज्यमंत्री भी मंत्री परिषद का हिस्सा होते हैं। ये कैबिनेट मंत्री यानी सीनियर मिनिस्टर के नीचे काम करने वाले मंत्री हैं, जिन्हंग हिन्दी में राज्यमंत्री और अंग्रेजी में जूनियर मिनिस्टर कहते हैं। एक कैबिनेट मंत्री के नीचे एक या उससे ज्यादा राज्य मंत्री भी होते हैं। जैसे नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में राजनाथ सिंह गृह मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री थे और उनके नीचे किरेन रिजिजु और हंसराज अहीर राज्यमंत्री थे। एक मंत्रालय के अंदर कई विभाग होते हैं, जो राज्य मंत्रियों के बीच बांटे जाते हैं, ताकि वो कैबिनेट मंत्री को मंत्रालय चलाने में मदद कर सकें।
मंत्री परिषद में मंत्रियों की संख्या कितनी हो सकती है?
भारत में केंद्र सरकार के मंत्री परिषद यानी कुल मंत्रियों की संख्या लोकसभा के सांसदों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। लोकसभा में 543 सांसद होते हैं और इस लिहाज से 15 फीसदी 81 होता है । मतलब साफ है कि नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार के नए मंत्री परिषद में 81 से ज्यादा मंत्री नहीं बन सकते। नरेंद्र मोदी की निवर्तनमान सरकार में कुल 71 मंत्री थे, जिसमें उनके अलावा 25 कैबिनेट, 11 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 34 राज्यमंत्री थे।
सुपर कैबिनेट क्या होता है?
भारत में केंद्र सरकार के मंत्री परिषद में शामिल कैबिनेट मंत्रियों को लेकर कुछ-कुछ कैबिनेट कमिटी भी बनाई जाती है, जिन्हें बोलचाल में सुपर कैबिनेट भी कहते हैं। सुपर कैबिनेट में सबसे ताकतवर कमिटी सीसीएस यानी कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी यानी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी मानी जाती है। इसमें आम तौर पर प्रधानमंत्री के अलावा गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री शामिल होते हैं। सीसीएस में शामिल मंत्रियों को सरकार का सबसे ताकतवर मंत्री माना जाता है। क्योंकि सारे अहम रणनीतिक और कूटनीतिक फैसले इसमें होते हैं। सीसीएस दूसरे देशों से संधि, समझौते, हथियारों की खरीद-बिक्री और देश के अंदर सुरक्षा हालात पर फैसले लेती है। दूसरा ताकतवर कैबिनेट कमिटी नियुक्ति वाला होता है, जिसे सीसीए यानी कैबिनेट कमिटी ऑन एप्वाइंटमेंट्स कहते हैं। सीसीए केंद्र सरकार के तमाम अहम प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति करती है। जैसे कैबिनेट सचिव, सचिव आदि। इनके अलावा भी कई कैबिनेट कमेटियां होती हैं। जिनमें कैबिनेट कमेटी ऑन इकनॉमिक अफेयर, कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंटरी अफेयर्स, कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलीटिकल अफेयर्स आदि शामिल हैं।
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