अब संसद भवन पहुंचेगा किसानों का आंदोलन, राकेश टिकैत बोले- बस से पार्लियामेंट जाएंगे 200 लोग

अब संसद भवन पहुंचेगा किसानों का आंदोलन, राकेश टिकैत बोले- बस से पार्लियामेंट जाएंगे 200 लोग

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि 19 जुलाई से मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद किसान संसद में अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, 'वहां (संसद की ओर) 200 लोग बस से जाएंगे। हम इसका किराया देंगे। जब सदन की कार्यवाही चल रही होगी तब हम संसद के बाहर बैठेंगे। यह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन होगा। आज हमारी एक बैठक होगी और हम एक रणनीति बनाएंगे।' किसान यूनियनों का एक हिस्सा, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के किसान और नेता जो दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वो संसद के बाहर 'विधिवत और शांतिपूर्ण विरोध' प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे।

एसकेएम ने गैर-एनडीए सांसदों का आह्वान करते हुए कहा कि 17 जुलाई को उनके कार्यालयों या सरकारी आवासों के लिए पत्र जारी किए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सदन के अंदर किसानों के मुद्दे को उठाएं। एसकेएम ने कहा, 'यदि विपक्षी दल किसानों को समर्थन देने को लेकर गंभीर हैं तो उन्हें केंद्र सरकार के खिलाफ बोलना चाहिए। उन्हें उसी भावना के साथ इस मुद्दे को उठाना चाहिए जिसके जरिए पिछले सात महीने से किसान सीमाओं और सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।'

पिछले सात महीने से अधिक समय से दिल्ली की तीन सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे किसान मॉनसून के महीनों के लिए अपने स्थलों को तैयार कर रहे हैं। टेंट की छतों को धातु से मजबूत किया जा रहा है, बैटरी से चलने वाली लाइट्स खरीदी गई हैं और पानी के ठहराव से बचने के लिए किसान सफाई अभियान चला रहे हैं। किसान अपने विरोध प्रदर्शन को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ले जाने की योजना बना रहे हैं। बता दें कि इन दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। किसान नेता अवतार मेहमा ने कहा, 'ये दोनों राज्य बीजेपी का गढ़ हैं, इसलिए पार्टी को लगता है कि वह पूरे देश में ताकतवर है। दुर्भाग्य से विपक्ष अपना काम नहीं कर रहा है इसलिए एसकेएम विपक्ष के तौर पर उभरा है। हम सितंबर में इन दोनों राज्यों में रैलियां निकालने की योजना बना रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बीजेपी वहां चुनाव न जीत पाए।'