एक बार फिर लोकसभा में कांग्रेस को नहीं मिलेगा नेता विपक्ष का पद
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी केरल के वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुके है, जबकि उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। बीजपी की स्मृति इरानी ने उन्हें बड़े अंतर से हराया है। अमेठी हारने के साथ ही कांग्रस और राहुल गांधी के लिए बड़ा झटका यह भी है कि एक बार फिर से लोकसभा में उन्हें विपक्ष के नेता का पद नहीं मिल सकेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी केरल के वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुके है, जबकि उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। बीजपी की स्मृति इरानी ने उन्हें बड़े अंतर से हराया है। अमेठी हारने के साथ ही कांग्रस और राहुल गांधी के लिए बड़ा झटका यह भी है कि एक बार फिर से लोकसभा में उन्हें विपक्ष के नेता का पद नहीं मिल सकेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस को इसके 55 से कम सीटें मिली हैं। जबकि परंपरा के मुताबिक, विपक्ष के नेता का पद सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को तो मिल सकता है, लेकिन उस दल की लोकसभा में 10 फीसदी सीटें यानी कम से कम 55 सीटें होना जरूरी हैं।
आपको बताते चलें कि 16वीं लोकसभा में कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं। कांग्रेस सबसे बड़ा विपक्षी दल होने के नाते अपने सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए विपक्ष के नेता का पद मांग रही थी। हालांकि, कांग्रेस की कम सीटें होने के चलते खड़गे को यह पद नहीं मिला।
खड़गे को सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता होने के चलते लोकपाल चयन समिति में शामिल किया गया था। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक में शामिल होने के लिए खड़गे को सात बार निमंत्रण भेजा गया था, लेकिन उन्होंने हर बार इससे इनकार कर दिया। उनका कहना था कि उन्हें विपक्ष के नेता की हैसियत से नहीं, बल्कि स्पेशल इनवाइटी के तौर पर बुलाया जा रहा है। इसलिए वे बैठक में शामिल नहीं होंगे।
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