इस मामले में रूस बना दुनिया का सबसे बदतर देश, पुतिन के नाम शर्मनाक रिकॉर्ड
यूक्रेन पर हमलावर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की विस्तारवादी नीति सिर्फ फायदा ही नहीं पहुंचा रही है बल्कि रूस को इससे तगड़ा नुकसान भी हो रहा है। इस युद्ध के पहले ही दिन से तमाम देश और दुनियाभर की दिग्गज कंपनियां रूस पर अनेक प्रतिबंध लगा रही हैं। देखते ही देखते हालत यह हो गई है कि अब रूस और पुतिन के नाम एक शर्मनाक रिकॉर्ड जुड़ गया है। रूस सबसे ज्यादा बैन झेलने वाला राष्ट्र बन गया है। इस मामले में अब रूस ने ईरान और उत्तर कोरिया को भी पीछे छोड़ दिया है।
यूक्रेन पर हमलावर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की विस्तारवादी नीति सिर्फ फायदा ही नहीं पहुंचा रही है बल्कि रूस को इससे तगड़ा नुकसान भी हो रहा है। इस युद्ध के पहले ही दिन से तमाम देश और दुनियाभर की दिग्गज कंपनियां रूस पर अनेक प्रतिबंध लगा रही हैं। देखते ही देखते हालत यह हो गई है कि अब रूस और पुतिन के नाम एक शर्मनाक रिकॉर्ड जुड़ गया है। रूस सबसे ज्यादा बैन झेलने वाला राष्ट्र बन गया है। इस मामले में अब रूस ने ईरान और उत्तर कोरिया को भी पीछे छोड़ दिया है।
प्रतिबंधों की संख्या 5530 से ज्यादा:
दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के दौरान ही रूस पर नए-नए प्रतिबंध लगने शुरू हुए जो अब तक जारी हैं। ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में कैस्टेलम सर्विस के हवाले से इस बारे में विस्तृत तरीके से बताया है। इसमें जिक्र है कि 22 फरवरी से अब तक रूस पर 2778 नए प्रतिबंध लगाए गए हैं। नए प्रतिबंधों की घोषणा के बाद लगाए गए कुल प्रतिबंधों की संख्या 5530 से ज्यादा हो गई है। रूस ने इस मामले में ईरान को भी पीछे छोड़ दिया है, जिसके खिलाफ पिछले 10 सालों में 3616 प्रतिबंध लगाए गए हैं।
तमाम देशों से बैन झेल रहा रूस:
यह भी बताया गया कि 22 फरवरी से अब तक रूस के खिलाफ लगाए गए अधिकांश प्रतिबंध (2427) वहां के कुछ प्रतिष्ठित लोगों के खिलाफ हैं। जबकि 343 प्रतिबंध संस्थाओं के खिलाफ लगाए गए हैं, जो आमतौर पर कंपनियां या सरकारी एजेंसियां हैं। रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने वालों में स्विट्जरलैंड (568), यूरोपीय संघ (518), फ्रांस (512) और अमेरिका (243) शामिल हैं।
रूस पर पहले भी लग चुके हैं अमेरिकी प्रतिबंध:
एक तथ्य यह भी है कि यूक्रेन युद्ध से पहले, रूस के खिलाफ कई अमेरिकी प्रतिबंध 2016 के चुनाव में हस्तक्षेप करने के लिए किए गए थे। इसके अलावा विशेषज्ञों का मानना है कि युद्ध में शामिल किसी भी देश की इकोनॉमी पर निगेटिव इम्पैक्ट डालता है। रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध का भी इसी तरह का इम्पैक्ट देखने को मिल रहा है, जो रूस के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता है।
प्रतिबंधों पर रूस की प्रतिक्रिया:
रूस पर लग रहे प्रतिबंधों के बीच रूस ने इस पर प्रतिक्रिया भी दी है। रूस ने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी कि वह अपने ऊपर हो रहे एक्शन को जवाब देने पर काम कर रहा है। रूस के विदेश मंत्रालय के आर्थिक सहयोग विभाग के निदेशक ने आरआईए समाचार एजेंसी के हवाले से कहा कि रूस की प्रतिक्रिया तेज, विचारशील और संवेदनशील होगी। इतना ही नहीं हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी इस मामले पर दुनिया को आगाह किया कि रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंध विश्व अर्थव्यवस्था को धीमा कर देंगे।
यूक्रेन का NATO को लेकर बड़ा बयान:
उधर अब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने स्पष्ट कह दिया है यूक्रेन अब NATO की सदस्यता की मांग नहीं करेगा। रूस की मांगों के बारे में जेलेंस्की ने कहा कि वह बातचीत करने को तैयार हैं। जेलेंस्की ने कहा कि वह केवल सुरक्षा की गारंटी मांग रहे हैं। जेलेंस्की के इस बयान के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा लग रहा है कि यूक्रेन अब जल्द ही हथियार डाल देगा।
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