देश की शीर्ष अदालत ने ‘सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट’ पर रोक लगाने से किया इनकार,कहा-मामले में अभी जल्दबाजी की नहीं है जरूरत
देश की सर्वोच्च अदालत ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता को दूसरी याचिका की नकल नहीं करने की नसीहत दी है, हालांकि अभी इसको लेकर एक अन्य याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जिस पर आगे सुनवाई होगी। सेंट्रल विस्टा योजना केंद्र सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसके तहत कई इमारतों का निर्माण किया जाएगा।
देश की सर्वोच्च अदालत ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता को दूसरी याचिका की नकल नहीं करने की नसीहत दी है, हालांकि अभी इसको लेकर एक अन्य याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जिस पर आगे सुनवाई होगी। सेंट्रल विस्टा योजना केंद्र सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसके तहत कई इमारतों का निर्माण किया जाएगा।
शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा, 'परियोजना के खिलाफ इसी तरह की याचिका अदालत में लंबित है। कोरोना महामारी के दौरान, कोई भी कुछ नहीं करने जा रहा है और कोई जल्दीबाजी नहीं है।' मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'एक ऐसी ही याचिका लंबित है और इसकी नकल करने की कोई आवश्यकता नहीं है।'
अदालत में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'संसद का निर्माण किया जा रहा है। किसी को कोई आपत्ति क्यों होनी चाहिए?' याचिकाकर्ता राजीव सूरी पहले ही परियोजना के खिलाफ याचिका दायर कर चुके हैं और यह शीर्ष अदालत में लंबित है।
गुरुवार को मुख्य न्यायधीश और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की दो जजों की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से याचिका पर सुनवाई की। याचिका में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए भूमि उपयोग को चुनौती दी गई थी। आरोप लगाया गया है कि लुटियन के क्षेत्र में 86 एकड़ जमीन को कवर करने वाली परियोजना के चलते लोग खुले और हरी भरी जगहों से वंचित हो जाएंगे।
दरअसल, इस प्रोजेक्ट के तहत सेंट्रल दिल्ली के लुटियंस जोन में एक नई संसद और अन्य केंद्र सरकार के कार्यालयों का निर्माण कराया जाना है। इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 20,000 करोड़ रुपये है। सीपीडब्ल्यूडी ने मैसर्स एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को कंसल्टेंसी का ठेका दिया है। हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस योजना को फिजूलखर्ची बताया था।
संसद भवन, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट और सेंट्रल विस्टा के विकास या पुनर्विकास को पूरा करने के लिए समय निर्धारित किया गया हैं,जबकि केंद्रीय विस्टा परियोजना को पूरा करने के लिए सीपीडब्ल्यूडी को दी गई समय-सीमा नवंबर, 2021 है। मार्च 2022 तक संसद भवन और मार्च 2024 तक आम केंद्रीय सचिवालय पर काम पूरा होना है।
केंद्र सरकार ने इसके डिजाइनिंग का ठेका गुजरात की एचसीपी कॉन्ट्रैक्टर को दिया है। इसे 250 साल के लिए तैयार किया जाएगा। ज्ञात हो कि हमारे देश की संसद भवन का उद्घाटन 1927 में हुआ था। संसद भवन का निर्माण तत्कालीन समय को ध्यान में रखकर किया गया था। केंद्रीय सचिवालय सहित राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के इलाके को नया लुक देने पर काम होगा। मौजूदा संसद भवन पुराने समय की जरूरतों के मुताबिक बना था।
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