सरकार और किसानों के बीच फिर तकरार! अब संयुक्त किसान मोर्चा ने ठुकराई समिति से जुड़ी यह पेशकश
संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार की प्रस्तावित समिति में शामिल होने की पेशकश को ठुकरा दिया है। किसानों का कहना है कि सरकार ने लिखित के बजाए 'फोन कॉल' पर आमंत्रण भेजा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया था। साथ ही उन्होंने किसानों की मांगों को लेकर एक समिति का प्रस्ताव भी दिया था, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने 13 महीने लंबे आंदोलन को खत्म कर दिया था।
संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार की प्रस्तावित समिति में शामिल होने की पेशकश को ठुकरा दिया है। किसानों का कहना है कि सरकार ने लिखित के बजाए 'फोन कॉल' पर आमंत्रण भेजा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया था। साथ ही उन्होंने किसानों की मांगों को लेकर एक समिति का प्रस्ताव भी दिया था, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने 13 महीने लंबे आंदोलन को खत्म कर दिया था।
किसान नेता दर्शन पाल ने कहा, 'कुछ भी लिखित में नहीं था। एक फोन कॉल आया (सरकार की तरफ से) जिसमें हमें दो सदस्यों को नामित करने के लिए कहा गया। यह अड़ियल रवैया है।' एसकेएम के अनुसार, 22 मार्च के कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने किसान नेता युदवीर सिंह को कॉल किया। उन्होंने प्रधानमंत्री के आदेश पर गठित होने वाली समिति के लिए दो-तीन नाम मांगे।
एसकेएम नेता ने कहा, 'मौखिक बातचीत, समिति, उसके सदस्यों, उसके आदेश और शर्तों जैसी बुनियादी जानकारी नहीं दे पाया। क्या आपने बगैर लिखित संदर्भ के किसी समिति के बारे में सुना है।' चूंकि, यह मामला अभी विचाराधीन है इसलिए कृषि मंत्रालय के अधिकारी ने इसपर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है। हालांकि, उन्होंने बताया कि मंत्रालय पैनल तैयार करने की ओर काम कर रहा था, क्योंकि 'यह आधिकारिक वादा था।'
बीती 7 दिसंबर को सरकार ने आंदोलन खत्म करने के लिए मसौदा प्रस्ताव भेजा था। पत्र में केंद्र ने कहा था कि 'यह सुनिश्चित करने के लिए कि कैसे सभी किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त कर सकते हैं' समिति का गठन करेंगे। खास बात है कि किसानों की मांगों में एमएसपी की कानूनी गारंटी भी शामिल थी। आंदोलन के दौरान किसान और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हुई थी, जो असफल रही थीं।
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