मतगणना से पहले ही सरकार बनाने को लेकर विपक्ष नहीं है एकजूट- जेडीयू
चुनाव के नतीजे 23 मई को आएगा.इसी क्रम में सरकार बनाने की कवायद को लेकर आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू इन दिनों काफी सक्रिय हो गए हैं. इसपर एनडीए के घटक दल जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि विरोधी खेमा दो हिस्सों में बंट गया है. इसमें एक का नेतृत्व फेडरल खेमा कर कर रहा है तो दूसरे का कांग्रेस.
पटना से जे पी चंद्रा की रिपोर्ट:
लोकसभा का चुनाव अभी पूरी तरह से सम्पन्न भी नहीं हुआ है कि सरकार बनाने कि कवायद तेज हो गई है. सातवें एवं अंतिम चरण के चुनाव के लिए 19 मई को वोट डाले जायेंगे.लेकिन इसके पहले ही विरोधी सरकार बनाने को लेकर एक -दुसरे पर पलटवार करने लगे हैं. हालांकि इस चुनाव के नतीजे 23 मई को आएगा.इसी क्रम में सरकार बनाने की कवायद को लेकर आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू इन दिनों काफी सक्रिय हो गए हैं. इसपर एनडीए के घटक दल जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि विरोधी खेमा दो हिस्सों में बंट गया है. इसमें एक का नेतृत्व फेडरल खेमा कर कर रहा है तो दूसरे का कांग्रेस.
केसी त्यागी ने दावा किया कि फेडरल फ्रंट के प्रमुख नेताओं ने कांग्रेस से दूरी बना ली है. टीएमसी, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, एसपी, बीसपी जैसे दल कांग्रेस के नेतृत्व में आगे बढ़ना नहीं चाहते हैं लिहाजा इन मुलाकातों का ठोस नतीजा निकलने की सम्भावना कम है. इस बीच आरएलएसपी के महासचिव माधव आनंद जेडीयू के दावे को खारिज करते हुए कहा कि तीसरे मोर्चे की सरकार की कोई संभावना नहीं है. यूपीए की सरकार बनेगी और राहुल गांधी अगले प्रधानमंत्री बनेंगे.
बता दें किटीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को कांग्रेस और भाकपा नेताओं से मुलाकात की. नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की और उनके साथ सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने और एक संयुक्त विपक्षी गठबंधन बनाने की संभावनाओं पर चर्चा की. इससे पहले चंद्रबाबू नायडू सुबह के नाश्ते पर भाकपा नेता सुधाकर रेड्डी और डी राजा से भी मुलाकात की तथा उनसे एक साथ आने के लिए कहा.
नायडू ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार और एलजेडी नेता शरद यादव से भी मुलाकात की. इससे पहले वो तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी, आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी सहित विभिन्न विपक्षी नेताओं से कई दौर की चर्चा कर चुके हैं.
लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि अगर कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं मिलती है तो ऐसी स्थिती में क्या वह किसी अन्य दल के नेता को बीजीपी को छोड़कर पीएम पद के लिए समर्थन करेगी.यह तो आनेवाला समय ही बताएगा. लेकिन इतना साफ़ है कि सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़ की कवायद तेज हो गई है. सभी लॉबी बनाने में जुट गए हैं.फिलहाल इसे संभावनाओं कि राजनीति कहें तो गलत नहीं होगा क्योंकि अभी मतों की गणना होना बाकी है.
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