"जाग जाओ जनता,ये तो वही 70 साल पुराने मुद्दे हैं"
देशभर के तमाम छोटे-बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं का दिल्ली में मार्च हो रहा है। दिल्ली के तमाम गली-कूचों, चौक-चौराहों में राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मार्च जारी है। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, तमाम मुख्यमंत्री, मंत्री और सांसद भी यहां आम कार्यकर्ता बने नजर आ रहे हैं।
बहुत सुंदर! अद्भुत! देश भर के नेता इस वक्त दिल्ली में हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली वैसे तो देश के बड़े नेताओं की आश्रय स्थली है। सांसद और मंत्री दिल्ली में ही वास करते हैं। पूर्व मंत्रियों और सांसदों की प्रवास स्थली भी है दिल्ली। दिल्ली के विधायक और मंत्री भी दिल्ली में ही रहते हैं। तमाम प्रांतों के नेताओं का भी समय-समय पर दिल्ली आना-जाना लगा रहता है। परंतु इस वक्त दिल्ली में देश भर के सांसदों और मंत्रियों का जमावड़ा लगा हुआ है।
देशभर के तमाम छोटे-बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं का दिल्ली में मार्च हो रहा है। दिल्ली के तमाम गली-कूचों, चौक-चौराहों में राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मार्च जारी है। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, तमाम मुख्यमंत्री, मंत्री और सांसद भी यहां आम कार्यकर्ता बने नजर आ रहे हैं।
यह सब दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हो रहा है। आगामी छह फरवरी तक दिल्ली के तमाम गली, मोहल्लों में नेताओं का मार्च जारी रहेगा। आठ फरवरी को मतदान होगा और ग्यारह फरवरी को वोटों की गिनती। अगले कुछ दिनों में दिल्ली को नई सरकार भी मिल जाएगी। लेकिन अभी बात करते हैं नेताओं के मार्च की, नेताओं के प्रचार की, नेताओं के वादों और दावों की।
दरअसल, तमाम राजनीतिक दलों के नेता आम आवाम को जगा रहे हैं। आम जनता से वादे कर रहे हैं। अपने-अपने पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे हैं। अपने-अपने दलों के उम्मीदवारों को जीताने की विनती कर रहे हैं। आम जनता को सामाजिक और व्यक्तिगत लोभ भी दिए जा रहे हैं।
यह सही वक्त है। यह वह वक्त है, जब सोती जनता को जाग जाना चाहिए। यह वह वक्त है जब देश की जनता सोचे कि ये राजनीतिक दलों के नेता उनसे क्या वादे कर रहे हैं। आजादी के सत्तर साल बाद भी ये नेता उनके पास सड़क, पानी, बिजली, गली, नाली जैसे मुद्दों को लेकर क्यों आ रहे हैं। पानी और बिजली मुफ्त में मुहैया कराने का वादा क्यों कर रहे हैं।
जरा सोचिए कोई यह क्यों कह रहा है कि मेरी पार्टी को वोट दो, मैं तुम्हे मुफ्त में बिजली दूंगा। कोई यह क्यों कह रहा है कि मेरी पार्टी को वोट दो मैं तुम्हे निःशुल्क पानी दूंगा। कोई यह क्यों कह रहा है कि मेरी पार्टी को वोट दो मैं तुम्हे निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाउंगा। कोई यह क्यों कह रहा है कि मेरी पार्टी को वोट दो मैं तुम्हे निःशुल्क बस सेवा मुहैया करवाउंगा। कोई यह क्यों कह रहा है कि मेरी पार्टी को वोट दो मैं तुम्हे निःशुल्क तीर्थ यात्रा करवाउंगा।
ठीक है चुनाव है तो ऐसे दावे और वादे तो होंगे ही। पर ये तो मूलभूत सुविधाएं हैं। वर्षों पहले देश के हर गांव में। देश के प्रत्येक व्यक्ति तक ये सुविधाएं पहुंच जानी चाहिए थी। परंतु ये सभी आज भी चुनावी मुद्दे हैं। जनता को सोचना चाहिए और शर्म आनी चाहिए देश के नेताओं को। क्या ये नेता, क्या ये मंत्री अपना काम ठीक से कर रहे हैं। क्या ये ईमानदारी से देश और देश की जनता के हित में काम कर रहे हैं। जनता से किए वादों को निभा रहे हैं। नहीं, बिल्कुल नहीं।
चुनाव जीतने के बाद ये नेता, सांसद, विधायक और मंत्री बन जाते हैं। परंतु जनता से किए वादों को भूलकर अगले पांच साल तक के लिए सो जाते हैं। देश के नेता ईमानदारी पूर्वक अपना काम करते,तो आज भी, आजादी के 70 सल बाद भी देश की राजधानी दिल्ली में पानी, बिजली, सड़क, गली और नाली जैसे मुद्दे नहीं होते। यह शर्म की बात है कि आज भी हमारे चुनावी मुद्दे वही हैं, जो आजादी के बाद हुए देश के पहले चुनाव में थे।
वजह यह है कि चुनाव जीतने के बाद सांसद, विधायक और मंत्री दिल्ली में या प्रदेशों की राजधानियों में जाकर और वोट देने के बाद गांवों, कस्बों, शहरों, नगरों एवं महानगरों की जनता अपने-अपने घरों में सो जाती है। सभी दलों के नेता विकास के लंबे-चौड़े आंकड़े पेश करते हैं। विकास पर घंटों भाषण देते हैं। कुछ नेता विकास पुरुष के नाम से नवाजे भी जाते हैं। बावजूद इसके आजादी के सत्तर साल बाद भी देश में चुनाव पानी, बिजली, सड़क, नाली, गली जैसे मुद्दों पर लड़े जाते हैं।
हद तो तब हो जाती है जब चुनाव जीतने के बाद वही दल, वही नेता तमाम वादे भूल जाते हैं। पांच साल बाद एक बार फिर से उन्ही वादों को धो पोंछकर पॉलिस करके जनता के सामने पेश कर देते हैं। जनार्दन रूपी जनता भी एक बार-बार नेताओं के बहकावे में आ जाती हैं। यह सिलसिला आजादी के बाद से चलता आ रहा है। तभी तो वर्षों से सड़क, पानी, बिजली, गली एवं नाली मुद्दे बनते आ रहे हैं।
देश की जनता नेताओं द्वारा छली जाती आ रही है। पानी, बिजली, गली एवं नाली के लिए ठगी जा रही है। जब तक जनता जागरुक नहीं होगी। देश में ऐसा ही होता रहेगा। जनता पानी, बिजली, सड़क, नाली एवं गली के लिए तरसती रहेगी और नेता मौज उड़ाते रहेंगे।
एक पत्रकार के रूप में, एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में आप जनता को जगाने की लाख कोशिश कर लें, पर यह जनता है कि जागती ही नहीं। वैसे जनता को जनार्दन की संज्ञा दी गई है। पर शायद सिर्फ चुनाव के दौरान या वोट के लिए। वोट देने के बाद दोनों सो जाते हैं,जबकि जरूरत इस बात की है कि जिस प्रकार से जनार्दन दुष्टों और दानवों का संहार करते हैं। उसी प्रकार से जनार्दन रूपी जनता को इन झूठे, फरेबी, लोभी, अत्याचारी और भ्रष्टाचारी नेताओं का राजनीतिक संहार कर देना चाहिए। वोट की चोट से इन्हें गर्त में मिला देना चाहिए।
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