क्या इतनी तल्खी के बाद भी बीजेपी-शिवसेना में बनेगी बात या राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है महाराष्ट्र?
संजय राउत ने यह भी कहा कि अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, तो यह राज्य के लोगों का अपमान होगा। बीजेपी को कार्यवाहक सरकार के प्रावधान का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद शिवसेना को देने पर सहमत होने पर ही बीजेपी को शिवसेना के पास पास आना चाहिए।
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेन के बीच सरकार गठन को लेकर जारी खींचतान के बीच बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस्तीफे की मांग की है। संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
संजय राउत ने यह भी कहा कि अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, तो यह राज्य के लोगों का अपमान होगा। बीजेपी को कार्यवाहक सरकार के प्रावधान का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद शिवसेना को देने पर सहमत होने पर ही बीजेपी को शिवसेना के पास पास आना चाहिए।
महाराष्ट्र में सरकार गठन की समयसीमा जैसे-जैसे खत्म होती जा रही है, वैसे ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के संकेतों को बल मिलता दिख रहा है। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल नौ नवंबर को खत्म हो रहा है।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को घंटे भर तक चली शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक के दौरान विधायकों ने दोहराया कि लोकसभा चुनाव से पहले पदों और जिम्मेदारियों के समान बंटवारे के जिस विचार पर सहमति बनी थी, उसे लागू किया जाना चाहिए।
दरअसल, महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी के बीच सत्ता की साझेदारी को लेकर झगड़ा फंसा है। शिवसेना जहां मुख्यमंत्री पद पर 50-50 फार्मूले की बाद कर रही है, वहीं बीजेपी इससे इनकार कर रही है। शिवसेना का दावा है कि चुनाव से पहले ही बीजेपी के अमित शाह से इस पर समझौता हुआ था कि ढ़ाई-ढाई साल का मुख्यमंत्री होगा दोनों पार्टियों से। लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने इस समझौते से इनकार कर दिया है।
288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के हाल ही में घोषित चुनाव नतीजों में कोई भी पार्टी 145 सीटों के बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई। इसके चलते सरकार गठन में देर हो रही है। चुनाव में भाजपा को 105, शिवसेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई है। गठबंधन कर चुनाव लड़ी भाजपा और शिवसेना को कुल मिलाकर 161 सीटें मिली हैं।
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