गुजरात में आया 5.5 की तीव्रता के तेज भूकंप, कच्छ में 10 सेकंड हिली धरती,दहशत में घरों से बाहर भागे लोग, जम्मू, तुर्की और पुर्तो रिको में भी भूकंप
देश में इन दिनों कई तरह की आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना वायरस और चक्रवात के अलावा कई जगहों पर भूकंप के झटके भी महसूस किए जा रहे हैं। गुजरात में रविवार रात 8 बजकर 13 मिनट पर भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.5 थी। इसका एपिसेंटर कच्छ के वोंध गांव में था। राहत की बात है कि राज्य में अब तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है।
देश में इन दिनों कई तरह की आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना वायरस और चक्रवात के अलावा कई जगहों पर भूकंप के झटके भी महसूस किए जा रहे हैं। गुजरात में रविवार रात 8 बजकर 13 मिनट पर भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.5 थी। इसका एपिसेंटर कच्छ के वोंध गांव में था। राहत की बात है कि राज्य में अब तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है।
सबसे ज्यादा असर भी कच्छ में ही देखा गया। 19 साल पहले यानी 26 जनवरी 2001 को भी कच्छ के भुज में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें 13 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। गुजरात के कच्छ में 10 सेकंड तक झटके महसूस किए गए। राजकोट तीन आफ्टर शॉक महसूस किए गए। सौराष्ट्र में 4.8 तीव्रता के साथ करीब 7 सेकंड तक झटके आए। अहमदाबाद में 3.4 तीव्रता के झटके करीब 5 सेकंड तक महसूस किए गए।
जामनगर, सुरेंद्रनगर और जूनागढ़ में भी झटके महसूस किए गए। कई शहरों में लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। कच्छ, मोरबी, राजकोट में कई घरों में दरारे आई हैं। भूकंप आने के बाद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने राजकोट, कच्छ और पाटन जिले के कलेक्टरों से फोन पर हालात की जानकारी ली।
गुजरात में भूकंप आने के बाद रविवार रात करीब साढ़े आठ बजे जम्मू-कश्मीर के कटरा और आसपास के शहरों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का एपिसेंटर कटरा से 90 किलोमीटर दूर था और तीव्रता 3 थी। वहीं, राजकोट में भूकंप आने से करीब 19 मिनट पहले तुर्की में 5.9 और पुर्तो रिको में 2.5 तीव्रता का भूकंप आया। इससे पहले 6 जून को बनासकांठा जिले समेत उत्तर गुजरात के कई इलाकों में 10 सेकंड तक भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 4.8 थी।
आपको बताते चलें कि गुजरात में 26 जनवरी 2001 को 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। भुज और कच्छ में इस दौरान भारी तबाही हुई थी। 10 हजार लोग इस भूकंप के कारण मारे गए थे। 2 हजार शव तो 26 जनवरी को ही निकाले गए थे। इनमें भुज के एक स्कूल के 400 बच्चे भी शामिल थे। अस्पतालों को भी नुकसान पहुंचा था। इसके कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आई थी।
जानना यह भी जरूरी है कि आखिर भूकंप आता क्यों है। दरअसल, पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं जो लगातार घूम रही हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा प्रेशर बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। अर्थक्वेक ट्रैक एजेंसी के मुताबिक हिमालयन बेल्ट की फॉल्ट लाइन के कारण एशियाई इलाके में ज्यादा भूकंप आते हैं।
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