भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा खुलासा! ट्रक ड्राइवर और मालिक पुलिसकर्मियों को हर साल देते हैं करीब 48000 करोड़ रुपये की रिश्वत,एनजीओ ‘सेव लाइफ फाउंडेशन’ ने किया खुलासा
रोड सेफ्टी और परिवहन के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ ‘सेव लाइफ फाउंडेशन’ की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रक ड्राइवर और ट्रकों के मालिक हर साल करीब 48000 करोड़ रुपये पुलिसवालों और सड़क पर खड़े अन्य अधिकारियों को रिश्वत के तौर पर देते हैं। एनजीओ की ओर से शुक्रवार को जारी की गई रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि ट्रैफिक और हाईवे पुलिस समेत ट्रांसपोर्ट और टैक्स अधिकारी भी रिश्वत लेते हैं।
देश की तमाम सरकारों, सामाजिक संगठनों और जांच एजेंसियों की लाख कोशिशों के बावजूद भ्रष्टाचार चरम पर है। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के तमाम दावे विफल साबित हो रहे हैं। भ्रष्टाचार के नाम पर करोड़ों-अरबों रुपये के वारे-न्यारे हो रहे हैं। सिर्फ सरकारी या निजी दफ्तरों में ही नहीं, बल्कि सड़कों पर भी भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। सरेराह खुलेआम रिश्वत ली और दी जा रही है।
सड़कों पर आते-जाते, किसी यात्रा के दौरान आपने भी राह चलती गाड़ी को पुलिसवाले को कुछ रुपये देते हुए देखा होगा। कई बार पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर रिश्वत लेने पर कार्रवाई भी की जा चुकी है, बावजूद इसके यह गोरखधंधा बड़े स्तर पर फल-फूल रहा है। किसी ना किसी कारण से ट्रक ड्राइवर अपने सफर में आगे बढ़ने के लिए पुलिसवालों को रिश्वत देता है। ट्रक ड्राइवरों द्वारा दिए जाने वाले रिश्वत को लेकर किए गए एक अध्यन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
रोड सेफ्टी और परिवहन के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ ‘सेव लाइफ फाउंडेशन’ की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रक ड्राइवर और ट्रकों के मालिक हर साल करीब 48000 करोड़ रुपये पुलिसवालों और सड़क पर खड़े अन्य अधिकारियों को रिश्वत के तौर पर देते हैं। एनजीओ की ओर से शुक्रवार को जारी की गई रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि ट्रैफिक और हाईवे पुलिस समेत ट्रांसपोर्ट और टैक्स अधिकारी भी रिश्वत लेते हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पूरे देश में ट्रक ड्राइवर किन परिस्थितियों में काम करते हैं और किस तरह के मानसिक और शारीरिक दबाव में रहते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि 'माता के जागरण समिति' जैसे स्थानिय ग्रुप भी धमकी देकर ट्रक ड्राइवरों से पैसा वसूलते हैं, नहीं देने पर रास्ता नहीं खाली करते हैं।
सर्वे के दौरान जिन ड्राइवरों से बात की गई उनमें से 82 फीसदी ने माना है कि उन्होंने अपनी अंतिम यात्रा के दौरान किसी न किसी अधिकारी को रिश्वत दी। सर्वे के दौरान 1217 ट्रक ड्राइवरों और 110 ट्रक मालिकों से बात की गई, जो इस सेक्टर में हो रहे बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार को उजागर करती है। बताया गया कि हर यात्रा के दौरान औसतन 1257 रुपये की रिश्वत अधिकारियों को एक ट्रक ड्राइवर ने दी। कुल मिलाकर लगभग 2 फीसदी ट्रक ड्राइवरों ने टैक्स अधिकारियों को रिश्वत दी।
पूर्वोत्तर राज्य असम की राजधानी गुवाहाटी में 97.5 फीसदी ड्राइवरों ने रिश्वत देने की बात स्वीकारी। इसके बाद 89 फीसदी के साथ चेन्नई दूसरे और 84.4 फीसदी के साथ दिल्ली तीसरे नंबर पर है। 44 फीसदी ड्राइवरों ने आरटीओ ऑफिसरो को भी रिश्वत देने की बात कही। इनमें बेगलुरु सबसे ऊपर है,जहां 94 फीसदी ने इस बात को स्वीकारा। इसमें एक खास खुलाया भी हुआ, जिसमें बताया गया कि अधिकारी रिश्वत लेने के बाद ड्राइवरों को एक स्लिप देते हैं, जिससे ड्राइवर अगले चेकपॉइंट को पार कर जाए।
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