जानिए, समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल हुए नीरज शेखर को क्या मिला इनाम?
बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को आगामी राज्यसभा उपचुनाव में उत्तर प्रदेश से अपना उम्मीदवार बनाया है। नीरज बीजेपी में आने से पहले भी समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद थे। पिछले ही महीने समाजवादी पार्टी का दामन छोड़कर वे बीजेपी में शामिल हुए हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा में बीजेपी के सदस्यों की बड़ी संख्या है, लिहाजा, नीरज को उपचुनाव जीतने में कोई दिक्कत नहीं होने वाली है।
भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को आगामी राज्यसभा उपचुनाव में उत्तर प्रदेश से अपना उम्मीदवार बनाया है। नीरज बीजेपी में आने से पहले भी समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद थे। पिछले ही महीने समाजवादी पार्टी का दामन छोड़कर वे बीजेपी में शामिल हुए हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा में बीजेपी के सदस्यों की बड़ी संख्या है, लिहाजा, नीरज को उपचुनाव जीतने में कोई दिक्कत नहीं होने वाली है। नीरज शेखर के अलावा एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी रहे संजय सेठ और सुरेंद्र नागर ने भी राज्यसभा की सदस्यता और पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
नीरज शेखर को एक समय यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का काफी करीबी माना जाता था। 2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद नीरज शेखर 2019 में भी बलिया सीट से टिकट के प्रमुख दावेदार थे। हालांकि, आखिरी वक्त में समाजवादी पार्टी ने उनका टिकट काटकर सनातन पांडेय को उम्मीदवार बना दिया और उसी वक्त से नीरज शेखर समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से नाराज थे।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे हैं नीरज
आपको बताते चलें कि नीरज शेखर पूर्व प्रधानमंत्री और समाजवादी नेता चंद्रशेखर के बेटे हैं। 50 साल के नीरज शेखर दो बार लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। 2007 में अपने पिता के निधन के बाद बलिया लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर पहली बार सांसद निर्वाचित हुए। 2009 में उन्होंने इसी सीट से दोबारा लोकसभा के लिए जीत हासिल की। इसके बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में हार जाने के बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के लिए नमित किया। उच्च सदन में नीरज शेखर का कार्यकाल नवंबर 2020 में समाप्त होने वाला था।
2007 में शुरु हुआ सियासी सफर
यदि बात नीरज शेखर के सियासी सफर की करें, तो शुरुआत साल 2007 में हुई। चंद्रशेखर जब तक जीवित रहे, बलिया संसदीय सीट से सांसद निर्वाचित होते रहे। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में चंद्रशेखर आखिरी बार बलिया से सांसद निर्वाचित हुए। 2007 में उनके निधन के बाद रिक्त हुई बलिया सीट के लिए हुए उपचुनाव से नीरज शेखर के सियासी सफर की शुरुआत होती है। चंद्रशेखर सही मायनों में समाजवादी राजनीति के पैरोकार थे। परिवारवाद के धुर विरोधी चंद्रशेखर के जीवनकाल में उनके परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में सक्रिय नहीं था।
एसजेपी का किया एसपी में विलय
2007 के उपचुनाव में नीरज शेखर ने स्वयं को पिता की राजनीतिक विरासत के वारिस के तौर पर तो पेश कर दिया,लेकिन उसी पिता की एक निशानी मिटा दी। नीरज ने चंद्रशेखर की बनाई पार्टी समाजवादी जनता पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया और बरगद के पेड़ की जगह साइकिल के निशान पर चुनाव लड़ा। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद 27 जुलाई को पहली बार नीरज शेखर लखनऊ पहुंचे। यहां उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री का विरोध करने वालों को स्वीकार करना चाहिए कि मोदी के हाथों में देश सुरक्षित है।
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