मोदी सरकार का जेएनयू को लेकर बड़ा फैसला, अब पूर्व सैनिक करेंगे जेएनयू की सुरक्षा
प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। अब कैंपस की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना के हथियारबंद सेवानिवृत्त जवानों को तैनात किया जाएगा। इसे लेकर कवायद शुरू हो गयी है। वर्तमान में जेएनयू की सुरक्षा व्यवस्था निजी सुरक्षा एजेंसियां करती हैं। इन सुरक्षाकर्मियों को कैंपस के अंदर किसी भी प्रकार का हथियार इस्तेमाल करने की मनाही होती है।
नवल किशोर कुमार
प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। अब कैंपस की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना के हथियारबंद सेवानिवृत्त जवानों को तैनात किया जाएगा। इसे लेकर कवायद शुरू हो गयी है। वर्तमान में जेएनयू की सुरक्षा व्यवस्था निजी सुरक्षा एजेंसियां करती हैं। इन सुरक्षाकर्मियों को कैंपस के अंदर किसी भी प्रकार का हथियार इस्तेमाल करने की मनाही होती है।
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। हथियारबंद पूर्व सैनिक कैंपस में नजर आएंगे। इसे लेकर जेएनयू के छात्र/छात्राएं अभी से आक्रोशित हैं। उनका मानना है कि पूर्व सैनिकों को कैंपस की सुरक्षा की जिम्मेदारी देना कैंपस को कब्जे में लेने के समान है। पूर्व सैनिकों को सीमा पर लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। वे आम नागरिकों की समस्याओं से वाकिफ नहीं होते हैं। वे आम नागरिकों को कमतर मानते हैं। ऐसे में जेएनयू जो कि एक शैक्षणिक संस्थान है, वहां इनकी तैनाती से संस्थान में पठन-पाठन का माहौल दूषित होगा।
दरअसल जेएनयू पर आरोप लगता रहा हैं कि कैंपस में देशविरोधी गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा हैं। यहाँ टुकड़े टुकड़ें गैंग सक्रिय हैं जो माओवाद के साथ-साथ देश में अलगाव को बढ़ाने का काम करते हैं। यही वजह हैं कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार, सईद उमर ख़ालिद और अनिर्बन भट्टाचार्य पर जनवरी 14, 2019 को देशद्रोह के मामले में आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है। पुलिस का आरोप है कि ये लोग 9 फरवरी 2016 को हुए प्रदर्शन में अन्य अपराधों से भी जुड़े हुए थे। ये ऐसी घटना है कि जिस पर पक्ष -विपक्ष दोनों की तरफ से जम कर राजनीति होती रही हैं।
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