यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे 20 हजार भारतीय छात्रों की सुरक्षा को खतरा, राष्ट्रपति सचिवालय में याचिका दायर
भारत के मेडिकल के कॉलेजों में करीब 88 हजार सीटें हैं, जबकि इन कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए 8 लाख से अधिक छात्र परीक्षा देते हैं. इस कारण मेडिकल की पढ़ाई करने वाले ज्यादातर छात्रों को भारत के कॉलेजों में दाखिला नहीं मिल पाता है.
यूक्रेन को लेकर रूस और नाटो देशों के बीच उपजे तनाव का असर दुनिया के दूसरे देशों पर दिखना शुरू हो गया है. पूर्वी यूरोप में युद्ध के खतरे के बीच यूक्रेन में इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई कर रहे करीब 20 हजार भारतीय छात्रों को लेकर चिंता बढ़ गई है. वहां पढ़ाई कर रहे ज्यादातर भारतीय छात्रों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, पंजाब और राजस्थान के हैं. इन छात्रों को स्वदेश वापस लाने के लिए दिल्ली स्थित राष्ट्रपति सचिवालय में याचिका दायर की गई है.
याचिका में क्या है मांग
यूक्रेन में भारतीयों की सुरक्षा को लेकर दिल्ली स्थित राष्ट्रपति सचिवालय में राजस्थान के कांग्रेस नेता धर्मेश शर्मा ने याचिका दायर की है. राष्ट्रपति सचिवालय में दायर याचिका में धर्मेश शर्मा ने कहा है कि भारत से करीब 18 से 20 हजार भारतीय छात्र यूक्रेन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि भारत सरकार की ओर से अभी तक उनके जीवन से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि राजस्थान के करीब एक हजार छात्र यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे हैं.
ज्यादातर भारतीय छात्र पश्चिमी यूक्रेन में
उधर, मीडिया की रिपोर्ट्स पर यकीन करें तो तनावग्रस्त यूक्रेन में रहकर पढ़ाई करने वाले ज्यादातर भारतीय छात्र पश्चिमी यूक्रेन में रहते हैं, जबकि युद्धक तनाव पूर्वी, दक्षिण और सेंट्रल यूक्रेन की सीमाओं पर बना है. यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले छात्रों के अनुसार, भारत के मेडिकल के कॉलेजों में करीब 88 हजार सीटें हैं, जबकि इन कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए 8 लाख से अधिक छात्र परीक्षा देते हैं. इस कारण मेडिकल की पढ़ाई करने वाले ज्यादातर छात्रों को भारत के कॉलेजों में दाखिला नहीं मिल पाता है. वहीं, यूक्रेन के मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को आसानी से दाखिला मिल जाता है.
यूक्रेन तनाव का भारत पर कैसे पड़ेगा असर
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विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका अगर रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने जैसा कदम उठाता है तो इससे भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
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रूस पर प्रतिबंध लगाते ही एस-400 मिसाइल खरीद के लिए भारत के साथ हुए रक्षा सौदे पर भी इसका सीधा असर पड़ सकता है.
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अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ सी राजामोहन ने कहा जब दुनिया के तमाम शक्तिशाली देश में आपस में लड़ना शुरू कर देंगे, तो विदेश नीति को संभालना काफी मुश्किल होगा.
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राजा मोहन के अनुसार, रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगते हैं और अमेरिका भारत को मिली तरजीही राष्ट्र का दर्जा हटाकर छूट को रोक देता है, तो इससे भारत-रूस के रक्षा सौदों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
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रूस भारत का सबसे पुराना दोस्त है.
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वहीं, अमेरिका क्वाड के जरिए चीन के खिलाफ भारत से दोस्ती बढ़ा रहा है, जिससे भारत की कूटनीति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
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इसके साथ ही, भारत को हजारों मील दूर यूक्रेन से अपने लोगों को निकालना होगा.
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सबसे बड़ी बात यह है कि खाड़ी देशों के बाद रूस दुनिया का सबसे बड़ा दूसरा तेल उत्पादक देश है.
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यूक्रेन को लेकर रूस और अमेरिका के बीच युद्ध छिड़ने का सीधा प्रभाव कच्चे तेल के दाम पर पड़ेगा.
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इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और पूरी दुनिया में महामारी की मंदी के बाद एक और महामंदी आ सकती है.
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