देश के श्रमिकों को जल्द मिल सकता है समान न्यूनतम वेतन का तोहफा, मोदी सरकार कर रही है तैयारी
केंद्रीय श्रम मंत्रालय जल्द ही वेतन संहिता विधेयक को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने रख सकता है। बताया जा रहा है कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक को चालू सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार हर क्षेत्र, वर्ग और समुदाय के लोगों का विशेष ख्याल रख रही है। अमीर हो या गरीब, कर्मचारी हो या अधिकारी, मजदूर हो या ठेकेदार, केंद्र सरकार की सब पर नजर है। सरकार चाहती है कि सभी सम्मान के साथ जीवन यापन करें। इसी भावना के साथ श्रम सुधारों की दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय श्रम मंत्रालय जल्द ही वेतन संहिता विधेयक को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने रख सकता है। बताया जा रहा है कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक को चालू सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है।
दरअसल, केंद्र सरकार देश के श्रमिकों को समान अधिकार दिलाने की पहल करते हुए समान न्यूनतम वेतन का तोहफा देने की तैयारी में है। पिछले महीने 16वीं लोकसभा के भंग होने के कारण इस विधेयक को मंजूरी नहीं मिल पाई थी। अब मंत्रालय फिर से इस विधेयक को संसद में पेश करने से पहले कैबिनेट की मंजूरी दिलाना चाहता है।
संसद से इस विधेयक के पास होने के बाद केंद्र सरकार को कुछ विशेष सेक्टर के लिए सभी लोगों को न्यूनतम समान वेतन देने का अधिकार मिल जाएगा। इसमें रेलवे और खनन सेक्टर भी शामिल हैं। अन्य प्रकार की श्रेणी के लिए वेतनमान तय करने के लिए राज्य स्वतंत्र होंगे। इस विधेयक के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर एक न्यूनतम मजदूरी तय की जाएगी।
इसके अलावा केंद्र सरकार विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करेगी। इस विधेयक में प्रावधान है कि हर पांच साल बाद न्यूनतम वेतन में बदलाव किया जाएगा। इस विधेयक में न्यूनतम मजदूरी से कम वेतन देने पर नियोक्ताओं पर जुर्माने का भी प्रावधान है।
अगर कोई नियोक्ता तय मजदूरी से कम का भुगतान करता है, तो उस पर 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगेगा। इतना ही नहीं वह पांच साल के अंदर दोबारा ऐसा करता है, तो उसे 3 माह तक का कारावास और 1 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों की सजा भी हो सकती है।
विधेयक के पास होने पर होंगे ये बदलाव
वेतन संहिता विधेयक पास होता है तो यह विधेयक मजदूरी भुगतान अधिनियम 1936, न्यूनतम मजदूरी कानून 1948, बोनस भुगतान कानून 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 की जगह लेगा। इस विधेयक के पास होने के बाद केंद्र सरकार को कुछ विशेष सेक्टर के लिए सभी लोगों को न्यूनतम समान वेतन देने का अधिकार मिल जाएगा और हर पांच साल बाद न्यूनतम वेतन में बदलाव किया जाएगा।
महिला कर्मचारियों की सुरक्षा को बनाया गया है अहम मुद्दा
इस विधेयक में महिला कर्मचारियों की सुरक्षा को सबसे अधिक ध्यान में रखा गया है। विधेयक के अनुसार महिलाओं के लिए काम का समय सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच होना चाहिए। यदि शाम सात के बाद महिलाएं काम करती हैं, तो नियोक्ता को उनकी सुरक्षा का पूरा इंतजाम करना होगा। इसके अलावा छुट्टी के दिन महिलाओं को काम पर नहीं बुलाया जा सकता है। यदि जरूरी काम के चलते उन्हें बुलाना पड़ता है,तो नियोक्ता को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
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