कैसे ममता के चहेते पुलिस अफसर बन गए राजीव कुमार

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को चिटफंड घोटाला मामले में सीबीआई के सामने पूछताछ के लिए पेश होना होगा। ये जिरह शिलांग में सीबीआई के स्थानीय ऑफिस में होगी। इस बीच कोलकाता हाईकोर्ट ने उनसे संबंधित सुनवाई को अगले गुरुवार तक के लिए टाल दिया है। आठ साल पहले मुख्यमंत्री ममता उन्हें पसंद नहीं करती थीं लेकिन अब वो उनके सबसे चहेते अफसर हैं।

कैसे ममता के चहेते पुलिस अफसर बन गए राजीव कुमार

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को चिटफंड घोटाला मामले में सीबीआई के सामने पूछताछ के लिए पेश होना होगा। ये जिरह शिलांग में सीबीआई के स्थानीय ऑफिस में होगी। इस बीच कोलकाता हाईकोर्ट ने उनसे संबंधित सुनवाई को अगले गुरुवार तक के लिए टाल दिया है। आठ साल पहले मुख्यमंत्री ममता उन्हें पसंद नहीं करती थीं लेकिन अब वो उनके सबसे चहेते अफसर हैं।

कौन हैं राजीव कुमार?
राजीव कुमार बंगाल के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इस समय कोलकाता के पुलिस आयुक्त हैं। उन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। वो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के चंदौसी के रहने वाले हैं।

उनके पिता आनंद कुमार चंदौसी के एसएम कॉलेज में प्रोफेसर थे। राजीव कुमार ने इसी कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की। वो यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं लेकिन फिलहाल कई सालों से बंगाल में पोस्टेड हैं। उनकी पत्नी आईआरएस अफसर हैं। उन्होंने खुद को पीएचडी में नामांकित कर रखा है। वो कॉलम भी लिखते रहे हैं।

कैसे आए सीबीआई के निशाने पर?
शारदा और रोजवैली चिट फंड घोटाला बंगाल का बड़ा घोटाला है। जिसमें कई रसूखदार लोगों के लिप्त होने का आरोप लगता रहा है। दरअसल वर्ष 2013 में बंगाल की राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक स्पेशल जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया था, जिसके हेड राजीव कुमार थे। लेकिन सीबीआई का आरोप है कि उन्होंने इस मामले के सबूत मिटाए हैं।

कैसे चहेते अफसर बन गए
पिछले आठ सालों में वो ममता के विश्वास पर खरे उतरे हैं। उन्हें जो काम दिया गया, वो उन्होंने इस तरह निपटाया कि ममता की नजरों में चढते गए। उन्होंने राजीव कुमार को विजनरी अफसर बताया, जो आधुनिक तौर तरीकों से पुलिस को तैयार करना जानता है।

वो उनकी सलाह सुनती हैं। राजीव कुमार ने एक बड़े पुलिस अफसर के रूप में कोलकाता की पुलिस को बदला भी है। इसी के चलते जब सीबीआई कोलकाता में राजीव कुमार को पकड़ने आई तो उन्होंने इसे ना केवल बड़ा इश्यू बना दिया बल्कि वो उनके लिए धरने पर भी बैठ गईं।

कौन से बड़े मामलों को हल किया
राजीव कुमार के नाम कई मामलों को हल करने का श्रेय जाता है। एसएसपी (सीआईडी) के रूप में वर्ष 2001 में वो खादिम अपहरण मामले में सफल रहे। वर्ष 2002 में उन्होंने आईएसआईएस अटैक की जांच की। उन्होंने कोलकाता में आतंकवादियों व माओवादियों की धरपकड़ और जांच के लिए एसटीएफ का गठन किया।

सहयोगी क्या कहते हैं
आमतौर पर बंगाल के पुलिस अफसर उनकी तारीफ ही करते हैं। उनका कहना है कि वो लगातार खुद को अपग्रेड करते रहते हैं। कभी खाली नहीं बैठते, वो जमकर काम करते हैं और अपने सहयोगियों को अपना बेस्ट देने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्हें लोग टेकसेवी और सक्षम अधिकारी मानते हैं।