VIP की हार होने के बाद भी मुकेश सहनी रीचार्ज, बोले- जनता को आभार, बांटी मिठाई

बोचहां से राजद पहले नंबर पर रही तो भाजपा दूसरे नंबर पर रही, लेकिन मुकेश सहनी की पार्टी तीसरे स्थान पर है. कह सकते हैं वीआईपी हार गयी, लेकिन मुकेश सहनी जीत गये हैं. यही वजह है कि परिणाम आने के बाद राजद से पहले वीआइपी के कार्यालय में मिठाईयां बांटी गयी.

VIP की हार होने के बाद भी मुकेश सहनी रीचार्ज, बोले- जनता को आभार, बांटी मिठाई

पटना. बोचहां से जीत बेशक राजद की हुई है, लेकिन इस उपचुनाव का हीरो मुकेश सहनी को ही माना जायेगा. मुकेश सहनी ने इस उपचुनाव में एक नेता के तौर पर राजनीतिक पार्टियों को अपनी ताकत का एहसान करा दिया है. बोचहां से राजद पहले नंबर पर रही तो भाजपा दूसरे नंबर पर रही, लेकिन मुकेश सहनी की पार्टी तीसरे स्थान पर है. कह सकते हैं वीआईपी हार गयी, लेकिन मुकेश सहनी जीत गये हैं. यही वजह है कि परिणाम आने के बाद राजद से पहले वीआइपी के कार्यालय में मिठाईयां बांटी गयी. मुकेश सहनी को कार्यकर्ता मिठाई खिला रहे थे और मुकेश सहनी हाथ पोंछते हुए सुकून की सांस ले रहे थे. पार्टी की हार का कोई गम नहीं और ना कोई मलाल. भाजपा के कुल वोट से आधे से भी ज्यादा वोट पाने का यह सकून है.

आंकड़े को देखकर गदगद हैं मुकेश सहनी:

25 राउंड की गिनती के बाद जो अंतिम परिणाम आया है उसके तहत राजद के अमर कुमार पासवान को कुल 82,547 वोट मिले, जबकि भाजपा की बेबी कुमारी को कुल 45,909 वोट ही मिले. राजद के अमर कुमार पासवान ने 36653 वोट से जीत हासिल की. वहीं मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी की उम्मीदवार गीता कुमारी को 29,279 वोट मिले हैं. भाजपा और वीआइपी के बीच का अंतर महज 16630 मतों का रहा है. मुकेश इसी आंकड़े को देखकर गदगद हैं. वीआईपी को इस चुनाव में कुल 30 प्रतिशत वोट मिला है, जो पार्टी और खासकर मुकेश सहनी के लिए बड़ी उपलब्धि है. प्रभात खबर से बात करते हुए मुकेश सहनी ने कहा कि जनता ने जो स्नेह दिया है वो मेरे लिए अनमोल है. हमने 30 प्रतिशत वोटरों का विश्वास जीता है. हमें कांग्रेस से कहीं अधिक वोट मिला है. यह हमारी बड़ी उपलब्धि है.

एनडीए से हो गये थे बाहर, मंत्री पद भी खो दिया था:

मालूम हो कि चुनाव से ठीक पहले वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहनी को एनडीए से निकाला गया और बाद में मंत्री पद से ही बर्खास्त कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने अपने प्रत्याशी डा. गीता कुमारी के समर्थन में बोचहां में कैंप ही कर दिया. खासकर सहनी बहुल इलाकों में खूब प्रचार प्रसार किया. इसका प्रभाव साफ तौर पर यहां नजर आया. कभी भाजपा के आधार वोटर रहे सहनी समाज के लोगों का उनसे जुड़ाव कम होता चला गया. यही वजह रही कि भाजपा को यहां हार का मुंह देखना पड़ा.

दिखी मुकेश सहनी की ताकत:

बदला पूरा करने वाली बात पर हर कोई सहमत नजर आ रहा है. वैसे भाजपा नेताओं को कहना है कि इस परिणाम के बाद वीआइपी प्रत्याशी मायूस नजर आईं, जबकि वीआइपी सुप्रीमो को पार्टी की इस हार में भी जीत नजर आ रही है. उन्हें इस हार में भी अपना भविष्य दिख रहा है. जो मत उनकी पार्टी को मिले हैं, उसमें साफ अंतर देखा जा सकता है. इससे यह कहा जा रहा है कि मल्लाह वोट में भी सेंधमारी हुई है। सभी वोट मुकेश सहनी को नहीं मिले.