महाराष्ट्र के पास केवल 6 दिनों का कोल स्टॉक, बिहार-झारखंड समेत कई राज्यों में हो सकता है 'ब्लैक आउट'

रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में कोयले से बिजली बनाने वाले थर्मल पावर प्लांट्स के पास 12 अप्रैल तक करीब 8.4 दिन का ही कोयला बचा हुआ था. महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने शुक्रवार को ही बताया कि राज्य के पास केवल 6 दिनों के लिए कोयले का स्टॉक बचा है.

महाराष्ट्र के पास केवल 6 दिनों का कोल स्टॉक, बिहार-झारखंड समेत कई राज्यों में हो सकता है 'ब्लैक आउट'

नई दिल्ली : भारत में भीषण गर्मी के साथ ही बिजली संकट भी गहराता जा रहा है. देश के महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत करीब 10 राज्यों में बिजली की भारी संकट पैदा हो गया है. आलम यह कि कई राज्यों के पास बिजली उत्पादक संयंत्रों के पास कोयले की कमी भी देखने को मिल रहा है. स्थिति यह है कि महाराष्ट्र और पंजाब समेत कई राज्यों के बिजली उत्पादक संयंत्रों के पास एक हफ्ते से भी कम दिनों तक बिजली बनाने के लिए कोयले का भंडार बचा है. ऐसी स्थिति में अगर इन बिजली उत्पादक संयंत्रों को जल्द ही कोयले की आपूर्ति नहीं की गई, तो देश के कई राज्यों में ब्लैक आउट घोषित हो सकता है.

महाराष्ट्र में मात्र 6 दिनों के लिए बचा है स्टॉक:

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में कोयले से बिजली बनाने वाले थर्मल पावर प्लांट्स के पास 12 अप्रैल तक करीब 8.4 दिन का ही कोयला बचा हुआ था. महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने शुक्रवार को ही बताया कि राज्य के पास केवल 6 दिनों के लिए कोयले का स्टॉक बचा है. उन्होंने कहा कि कोरोना पाबंदियों की वजह से राज्य में बिजली की मांग बढ़ी है. इसके साथ ही, उन्होंने कोयले की आपूर्ति और मालगाड़ियों के कुप्रबंधन को लेकर केंद्र सरकार का जिम्मेदार ठहराया है.

कोयले का भंडार नौ साल के निचले स्तर पर:

मीडिया की एक रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में गर्मी की शुरुआत होते ही देश के बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार नौ साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. कोयले के भंडार में कमी के पीछे कोरोना पाबंदियों में ढील के बाद औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आने के बाद बिजली की खपत में बेतहाशा बढ़ोतरी है. हालांकि, सरकारी आंकड़ों में यह दावा भी किया गया है कि बिजली उत्पादन संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति वित्त वर्ष 2021-22 में 24.5 फीसदी बढ़कर 6,776.7 लाख टन हो गई.

2020-21 में 231.8 लाख टन कम हुई कोयले की आपूर्ति:

हालांकि, एक दूसरी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश में कोयले की आपूर्ति बढ़ने के बावजूद बढ़ती ऊर्जा मांग के कारण विभिन्न थर्मल पावर प्लांट में ईंधन की कमी रही. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, थर्मल पावर प्लांटों में कोयले की आपूर्ति वित्त वर्ष 2020-21 में 5,440.7 लाख टन थी, जो वित्त वर्ष 2019-20 के 5,672.5 लाख टन से कम है. हालांकि, सरकारी आंकड़ों में यह दावा भी किया जा रहा है कि बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति पिछले महीने बढ़कर 653.6 लाख टन हो गई. वित्त वर्ष 2020-21 की इसी अवधि में यह 579.7 लाख टन थी. कोयले की कुल आपूर्ति भी वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 8,181.4 लाख टन हो गई, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 6,913.9 लाख टन थी.

किन-किन राज्यों में गहराया बिजली संकट:

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, थर्मल पावर प्लांट में कोयले की कमी की वजह से उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तेलंगाना में बिजली संकट गहरा गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक सप्ताह में 1.4 फीसदी मांग बढ़ने से बिजली संकट गहराया है. यह आंकड़ा अक्टूबर में हुए बिजली संकट के समय की मांग से भी अधिक है. अक्टूबर में गंभीर कोयला संकट के दौरान बिजली की मांग एक फीसदी बढ़ी थी. हालांकि, मार्च में बिजली की मांग में 0.5 फीसदी की कमी आई थी.

रेलवे की ढुलाई में देर पर ठीकरा फोड़ रही सरकार:

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने मीडिया को बताया कि आंध्र प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु में बिजली की कमी हुई है. तमिलनाडु के ज्यादातर प्लांट आयातित कोयले पर निर्भर हैं और आंध्र प्रदेश का भी यही हाल है. इसके साथ ही, रेलवे के द्वारा वहां कोयला पहुंचाने में देर हो रही है. उन्होंने कहा कि इस साल जितनी तेज़ी से मांग बढ़ी है, उतनी तेज़ी से पहले कभी नहीं बढ़ी और हमारा कोयले का रिज़र्व कम है. कोयले का रिजर्व आज 9 दिन का है, जबकि पहले 14 दिन का रहता था.