धार्मिक या जातीय आधार पर टिप्पणी करना पड़ेगा भारी, काटनी पड़ सकती है तीन से पांच साल की सजा
सासाराम जिले में इस वर्ष पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई है। पंचायत चुनाव को लेकर मतदान की तारीख व चुनाव से संबंधित कई तरह की जानकारियां भी राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से जिला निर्वाचन आयोग को लगातार दी जा रही है। इसके साथ ही जिले में अगले पांच साल के लिए गांव की सरकार के गठन की कवायद एक बार फिर से शुरू हो गई है।
जिले में पहले चरण के लिए दावथ व संझौली प्रखंडों में जहां मंगलवार को नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो गई है। वहीं दूसरे चरण के लिए नौहट्टा व रोहतास प्रखंड के पंचायतों के लिए नामांकन की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इस बार जिले में पंचायत चुनाव आठ चरणों में होंगे। जिसमें 24 सितंबर को पहले चरण के चुनाव के दावथ व संझौली में मतदान होगा। इसी प्रकार 29 सितंबर को दूसरे चरण का जबकि आठ अक्टूबर को तीसरे, 20 अक्टूबर को चौथे चरण का मतदान, 24 अक्टूबर को पांचवें, तीन नवंबर को छठे, 15 नवंबर को सातवें व 24 नवंबर को आठवें चरण का मतदान होगा।
आचार संहिता के उल्लंघन में तीन से पांच साल की हो सकती है सजा: राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की स्थिति में संबंधित व्यक्तियों पर कार्रवाई करने का वैधानिक उपबंध है। इसमें भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में सजा का प्रावधान किया गया है। यदि कोई प्रत्याशी या उसका समर्थक धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता या घृणा फैलाता है तो उसे तीन से पांच वर्ष की सजा हो सकती है। यह गैर जमानतीय व संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
इसी प्रकार कोई भी प्रत्याशी किसी अन्य प्रत्याशी, किसी के जीवन के ऐसे पहलुओं की आलोचना करता है, जिसकी सत्यता साबित नहीं हो तो उसे भी सजा हो सकती है। हालांकि यह जमानतीय अपराध है, जिसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष होगी। इसी प्रकार से निर्वाचन प्रचार के लिए मस्जिदों, गिरिजा घरों, मंदिरों, ठाकुरबाड़ियों या अन्य पूजा स्थलों या धर्मस्थलों का प्रचार मंच के रूप में करना, जातीय या सांप्रदायिक भावनाओं की दुहाई देना भी गैर जमानतीय अपराध की श्रेणी में शामिल है। इस बार जिला प्रशासन आदर्श आचार संहिता के पालन के लिए ज्यादा सक्रिय है।
मुखिया के जिम्मे यह काम तो सरपंचों को मिले बड़े अधिकार: पंचायती राज विभाग के निर्देशानुसार इस बार चुनाव जीतने वाले मुखिया को अब अपने कार्य क्षेत्र में एक वर्ष में कम से कम चार बैठकें अनिवार्य रूप से आयोजित करनी होंगी। इन चार बैठकों के अलावे इनके पास ग्राम पंचायतों के विकास की कार्य योजना बनाने के साथ-साथ सभी प्रस्तावों को लागू करने की जवाबदेही भी तय होगी। इसके अलावा ग्राम पंचायतों के लिए तय किए गए टैक्स, चंदे व अन्य सरकारी शुल्क की वसूली के इंतजाम करना भी इनके जिम्मे ही होगा। इस बार सरपंचों को पंचायती राज व्यवस्था में तीन बड़े अधिकार दिए गए हैं। इसमें ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने, उनकी अध्यक्षता करने के साथ ही अब ग्राम पंचायत की कार्यकारी व वित्तीय शक्तियां भी सरपंचों के पास रहेंगी।
इनके जिम्मे जो मुख्य कार्य होंगे उनमें पंचायत व गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व कृषि के व्यवसाय को बढ़ावा देने, सिंचाई की व्यवस्था करने के अलावे अंतिम संस्कार व कब्रिस्तान का रखरखाव करना होगा। सरपंच को कार्यकारी व वित्तीय शक्तियां देने से इस बार सरपंच पद के लिए अभ्यर्थियों की संख्या भी विभिन्न पंचायतों में बढ़ रही है। जबकि पिछले चुनाव में सरपंच व पंच पद के लिए सबसे कम प्रत्याशी मैदान में थे।
क्या कहते हैं अधिकारी: जिला उप निर्वाची पदाधिकारी सह डीपीआरओ सत्यप्रिय कुमार ने कहा, 'पंचायत चुनाव में पूरी तरह से पारदर्शिता रखने व निष्पक्षता के साथ भयमुक्त चुनाव कराने के लिए जिला प्रशासन प्रयत्नशील है। आदर्श आचार संहिता के पालन के लिए जिला से प्रखंड स्तर तक लोगों को लगातार नियमों से अवगत कराया जा रहा है। संभावित प्रत्याशी प्रखंड कार्यालयों में संपर्क कर जरूरी जानकारी ले सकते हैं। इसके उल्लंघन में कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।'
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