‘गर्मी में बुर्का भट्ठी बन जाता है’: अब मलाला युसुफजई छात्राओं के लिए हिजाब पहनने की कर रही वकालत, सोशल मीडिया पर हुईं ट्रोल
ये वही मलाला हैं, जिन्हें अक्टूबर 2012 में पाकिस्तान की स्वात घाटी में महिलाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित करने पर तालिबान ने गोली मारी थी। गंभीर रूप से घायल हालत में उन्हें पहले पाकिस्तान के आर्मी अस्पताल में ले जाया गया और फिर वहाँ से यूके रेफर किया। वहाँ इलाज के बाद वह चमत्कारिक रूप से ठीक हो गई थीं।
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ब्रिटेन में आराम की जिंदगी मिलने के बाद अपना असली कट्टरपंथी रंग दिखाने वाली शांति नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई (Malal Yousafzai) द्वारा कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद (Hijab Controversy) पर बयान देकर फँस गई हैं। सोशल मीडिया पर हिजाब और शिक्षा को लेकर उनके दिए गए पुराने बयान को लेकर लोग ट्रोल करने लगे हैं।
अफगानिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथियों की गोली शिकार बनने के बाद ब्रिटेन में शरण पाने वाली मलाला ने कभी हिजाब को लेकर सवाल उठाया था। अपनी पुस्तक ‘आई एम मलाला’ में उन्होंने हिजाब को गलत और घुटन वाला बताया था। लेखक आनंद रंगनाथन ने मलाला के इस कथन का संदर्भ देते हुए एक ट्वीट किया है।
रंगनाथन ने ट्वीट में लिखा है कि कभी मलाला ने कहा था, “वे (इस्लामिक कट्टरपंथी) महिलाओं को बुर्का पहनने के लिए मजबूर कर रहे थे। बुर्का पहनना एक बड़े कपड़े के शटलकॉक के अंदर चले जाने जैसा है, जिसमें केवल एक ग्रिल है और गर्म दिनों में यह ओवन की तरह हो जाता है। मुझे यह पहनना नहीं था।”
मलाला इस बयान की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है। कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद के संदर्भ में सोशल मीडिया यूजर्स उनके हालिया बयान को लेकर उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। उनसे इस विषय में लगातार सवाल किए जा रहे हैं।
हिजाब विवाद पर मंगलवार (8 फरवरी) को मलाला ने हिजाब को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने एक खबर को शेयर करते हुए लड़कियों को स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति देने की बात कही थी। अपने ट्वीट में उन्होंने था, “कॉलेज हमें पढ़ाई और हिजाब के बीच चयन करने के लिए मजबूर कर रहा है। लड़कियों को उनके हिजाब के साथ स्कूल आने से मना करना भयावह है। महिलाओं पर कम या ज्यादा कपड़े पहनने को लेकर दबाव डाला जा रहा है। भारतीय नेताओं को मुस्लिम महिलाओं को किनारे लगाने की कोशिश पर रोक लगानी चाहिए।”
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