भारतीय वैज्ञानिकों ने अंरतिक्ष के क्षेत्र में रचा एक और इतिहास,चंद्रयान-2 के बाद तीसरी पीढ़ी के उन्नत भू-सर्वेक्षण उपग्रह काटोर्सैट-3 का किया सफल प्रक्षेपण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने चंद्रयान-2 के बाद तीसरी पीढ़ी के उन्नत भू-सर्वेक्षण उपग्रह काटोर्सैट-3 का प्रक्षेपण किया है। इसरो के मुताबिक, उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी47 के जरिए काटोर्सैट-3 और उसके साथ 13 नैनो उपग्रहों को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपण किया गया।
भारत वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और इतिहास रचा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने चंद्रयान-2 के बाद तीसरी पीढ़ी के उन्नत भू-सर्वेक्षण उपग्रह काटोर्सैट-3 का प्रक्षेपण किया है। इसरो के मुताबिक, उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी47 के जरिए काटोर्सैट-3 और उसके साथ 13 नैनो उपग्रहों को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपण किया गया।
पीएसएलवी-सी47 प्रक्षेपण यान पीएसएलवी की एक्सएल श्रेणी की 21वीं उड़ान है। काटोर्सैट-3 तीसरी पीढ़ी का उन्नत उपग्रह है, जिसकी हाई रिजोल्यूशन इमेजिंग क्षमता है। काटोर्सैट-3 को 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर भूमध्यरेखा से 97.5 डिग्री की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा पीएसएलवी-सी47 के जरिए अमेरिका के 13 नैनो उपग्रहों का भी प्रक्षेपण किया गया, जिन्हें इसरो की व्यावसायिक इकाई न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के तहत इस अभियान में शामिल किया गया है।
काटोर्सैट-3 का वजन 1625 किलोग्राम है, जिसे 13 अन्य नैनो उपग्रहों के साथ ध्रुवीय सौर भूस्थैतिक कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा। 44.4 मीटर ऊंचे पीएसएलवी-सी47 प्रक्षेपण यान का यह 49वां मिशन है। यह उपग्रह काटोर्सैट श्रृंखला का नौंवा उपग्रह है। इसरो का इस वर्ष यह पांचवां प्रक्षेपण अभियान है।
गौरतलब है कि इसरो ने इसी वर्ष 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया था, जो करीब-करीब 100 प्रतिशत सफल रहा था। इसरो ने एक बयान जारी कर बताया कि प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद भू-सवेर्क्षण उपग्रह काटोर्सैट-3 प्रक्षेपण यान से अलग होगा और अपनी निर्धारित कक्षा में स्थापित हो जाएगा।
‘कार्टोसैट-3’ तीसरी पीढ़ी का बेहद चुस्त और उन्नत उपग्रह है। यह धरती की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने के साथ-साथ उसका मानचित्र तैयार करने की क्षमता रखता है। इसरो ‘कार्टोसैट-3’ सहित 13 अमेरिकी नैनो उपग्रहों की लॉन्चिंग के लिए ‘पीएसएलवी-सी47’ रॉकेट का सहारा लेगा। यह अंतरिक्ष में ‘पीएसएलवी-सी47’ की 49वीं उड़ान है। इससे शहरों के नियोजन, ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास, संसाधनों की आपूर्ति, तटीय भूमि के बेहतर उपयोग और हरियाली के आकलन के साथ-साथ मौसमी बदलावों का अंदाजा लगाने और सैन्य निगरानी में मददगार साबित होगा।
‘कार्टोसैट-3’ का वजन 1625 किलोग्राम है। यह ‘कार्टोसैट’ शृंखला का 9वां सैटेलाइट है। इसका जीवन काल 5 साल के आसपास होगा। यह 510 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में तैनात रहेगा। यह इसरो का सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 74वां प्रक्षेपण मिशन है। खूबी की बात करें तो यह 25 सेंटीमीटर रेजोल्यूशन की भव्य तस्वीरें खींचने में सक्षम कैमरे से लैस है। अडैप्टिव ऑप्टिक्स तकनीक की मौजूदगी फोटो को धुंधली होने से रोकेगी।
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