राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद CAB बना कानून,11 नहीं अब 5 साल तक भारत में रहने के बाद ही 6 समुदाय के शरणार्थियों को मिल सकेगी नागरिकता
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार की देर रात इसपर हस्ताक्षर किए और आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही यह कानून लागू हो गया है। इस कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को अपनी मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति से मिली मंजूरी के बाद नागरिकता (संशोधन) विधेयक एक कानून बन गया है। गुरुवार की देर रात राष्ट्रपति ने इस विधेयक पर अपने हस्ताक्षर किए। लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार की देर रात इसपर हस्ताक्षर किए और आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही यह कानून लागू हो गया है। इस कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
गौरतलब है कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा द्वारा और सोमवार को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। कानून के मुताबिक इन छह समुदायों के शरणार्थियों को पांच साल तक भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता दी जाएगी। अभी तक यह समयसीमा 11 साल की थी। कानून के मुताबिक ऐसे शरणार्थियों को गैर-कानून प्रवासी के रूप में पाए जाने पर लगाए गए मुकदमों से भी वापस लिया जाएगा और उन्हें माफी दी जाएगी।
आपको बताते चलें कि यह कानून असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में लागू नहीं होगा, क्योंकि ये क्षेत्र संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं। इसके साथ ही यह कानून बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन, 1873 के तहत अधिसूचित इनर लाइन परमिट (आईएलपी) वाले इलाकों में भी लागू नहीं होगा। आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिज़ोरम में लागू है।
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