एमएमटीसी में हिंदी पखवाड़ा का समापन समारोह, गीतकार डाॅ सागर ने कहा कि बाॅलीवुड में हिंदी का भविष्य उज्जवल 

डाॅ सागर ने अपने संघर्षों के जिक्र के दौरान बताया कि वह कैसे बलिया (उ.प्र.), के एक छोटे से गाँव ककरी से पढ़ाई के लिए बीएचयू आए, फिर जेएनयू से पीएचडी कर बाॅलीवुड तक के असाधारण सफर तय किया। आज उनके पास गाने लिखने से फुर्सत नहीं है कि किसी के साथ लंबी बातें कर सकें। हिन्दी की प्रासंगिकता को लेकर फिल्मी दुनियाँ से जुड़ी उन्होने कई और बातें बताई जिसे जानकर गैर हिन्दी भाषियों के अंदर भी हिन्दी के प्रति लगाव और प्रगाढ़ हुआ। 

एमएमटीसी में हिंदी पखवाड़ा का समापन समारोह, गीतकार डाॅ सागर ने कहा कि बाॅलीवुड में हिंदी का भविष्य उज्जवल 
एमएमटीसी में हिंदी पखवाड़ा का समापन समारोह
एमएमटीसी में हिंदी पखवाड़ा का समापन समारोह, गीतकार डाॅ सागर ने कहा कि बाॅलीवुड में हिंदी का भविष्य उज्जवल 

नई दिल्ली - वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का पीएसयू एमएमटीसी लिमिटेड में हिंदी पखवाड़े का समापन हो गया। हिंदी पखवाड़े के दौरान बड़े स्तर पर हिंदी विषय को लेकर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया, जिसमे अधिकारियों और कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। समापन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में मुंबई के लोकप्रिय गीतकार डाॅ सागर, निगम के हिन्दी अधिकारी डाॅ विनय कुमार, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ विंध्याचल मिश्रा और नीमच म्युनिसिपल कार्पोरेशन के कमिश्नर व युवा गजलकार शैलेश अवस्थी, मुख्य महाप्रबंधक व प्रभारी अश्विनी कपूर मौजूद रहे। 


हिंदी को बढावा देने के लिए आपस में खुलकर चर्चा हुई। उभरते हुए गीतकार डाॅ सागर ने कविताओं और गीतों के माध्यम से हिंदी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कविता से गीत तक की यात्रा पर बातों के दरम्यान साहित्य, संवेदना, समाजिक मुद्दे और मनवीय मूल्यों को समेटते हुए प्रत्येक व्यक्ति के अंदर विद्यमान रचनात्मक हुनर को कैसे निखारा जा सकता है, पर खुलकर बातें की तथा गानों की निर्मिति के अवयवों पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि फिल्मी दुनियाँ में हिन्दी की दखल दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, जो नए-नए हीरो-हीरोइन केवल अंग्रेजी और विदेशी भाषा ही जानते थे वे भी अब धड़ल्ले से हिन्दी सीख रहे हैं।  सुदूर देहातों में बैठे प्रतिभावन लोगों को पहले प्लेटफाॅर्म नहीं मिल पाता था लेकिन अब सोशल नेटवर्किंग साइट्स ट्वीटर, फेसबुक, यूट्यूब आदि के माध्यम से हर एक रचनात्मक हुनर रखने वाला व्यक्ति निर्माता, निर्देशक, व हीरो-हीरोइन से सीधा जुड़ा जाता है, किसी हस्ती को टैग कर गाँव के भी किसी व्यक्ति द्वारा लिखे गए पोस्ट को स्वयं रिप्लाइ व रीट्वीट करते हैं। यह सब इंटरनेट के माध्यम से हिन्दी में संभव हो पाया है। 


डाॅ सागर ने अपने संघर्षों के जिक्र के दौरान बताया कि वह कैसे बलिया (उ.प्र.), के एक छोटे से गाँव ककरी से पढ़ाई के लिए बीएचयू आए, फिर जेएनयू से पीएचडी कर बाॅलीवुड तक के असाधारण सफर तय किया। आज उनके पास गाने लिखने से फुर्सत नहीं है कि किसी के साथ लंबी बातें कर सकें। हिन्दी की प्रासंगिकता को लेकर फिल्मी दुनियाँ से जुड़ी उन्होने कई और बातें बताई जिसे जानकर गैर हिन्दी भाषियों के अंदर भी हिन्दी के प्रति लगाव और प्रगाढ़ हुआ। 


इस शानदार परिचर्चा का हिस्सा दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ विंध्याचल मिश्रा और नीमच म्युनिसिपल कार्पोरेशन के कमिश्नर व युवा गजलकार श्री शैलेश अवस्थी भी थे, जिन्होंने विषय-विशेष के आलोक में अपनी बातों को रखते हुए लोकप्रिय साहित्य के बहुआयामी पक्षों पर खुलकर बातें की। डाॅ विनय कुमार ने विश्व की प्रमुख भाषाओं का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि किसी भी देश कि आर्थिक स्थिति उसकी भाषा पर भी निर्भर करती है। जो देश जितना ज्यादा अपनी भाषा में काम करता है वह उतना ही समृद्ध बनता है। यह भारतीय संदर्भ में काम-काज और व्यवहार की शैली से जोड़कर देखा जा सकता है, जिसके परिणाम में गुणात्मक रूप से दिखने लगेंगे। वहीं मुख्य महाप्रबंधक व प्रभारी श्री अश्विनी कपूर के अलावा महाप्रबंधक श्री अरिंदम सिंहा राॅय ने भी संगीत को लेकर गंभीर बातें कही। अंत में हिन्दी निबंध और ज्ञान प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार दे कर सम्मानित किया गया। 

हिन्दी निबंध प्रतियोगिता
कर्मचारी वर्ग - वेदप्रकाश शर्मा (प्रथम), लक्ष्मी नारायण (द्वितीय)
अधिकारी वर्ग - आकांक्षा राणा(प्रथम), प्रवीना रस्तोगी(द्वितीय), अंशुल खैरवा(तृतीय) तथा हितेश अत्री, नित्यानंद सिन्हा और दनियल खल्खो को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किये गए। 

हिन्दी ज्ञान प्रतियोगिता 
कर्मचारी वर्ग- विश्वंभरी विष्ट (प्रथम), अभय कुमार सिंह (द्वितीय)
अधिकारी वर्ग-  गुलशन कुमार(प्रथम), रमेश चंद खिंची (द्वितीय), रश्मि चड्ढ़ा (तृतीय) तथा सुशील कुमार मित्तल, सुरजय साहनी और विपिन सहदेव को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए गए।