हिंदू नववर्ष या रामनवमी पर रखी जा सकती है मंदिर की नींव, संत समाज द्वारा मंदिर निर्माण की सुझाई दोनों तिथियों पर आरएसएस ने भी जताई सहमति
अखिल भारतीय संत समिति ने सर्वसम्मति से कहा कि मंदिर की नींव हिंदू नववर्ष यानी नव संवत्सर या भगवान श्रीराम के जन्मदिन यानी रामनवमी को ही रखी जाए। पंचांग के अनुसार हिंदू नववर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है, जो 2020 में 25 मार्च से शुरू होगा। रामनवमी 2 अप्रैल को है। इन दोनों तारीखों को लेकर संघ भी सहमत है।
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट बनाकर अगले तीन महीने में मंदिर निर्माण की रूपरेखा तैयार करने के लिए कहा गया है। इस बीच संत समाज ने मंदिर निर्माण के लिए दो तारीखें सुझाई हैं।
अखिल भारतीय संत समिति ने सर्वसम्मति से कहा कि मंदिर की नींव हिंदू नववर्ष यानी नव संवत्सर या भगवान श्रीराम के जन्मदिन यानी रामनवमी को ही रखी जाए। पंचांग के अनुसार हिंदू नववर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है, जो 2020 में 25 मार्च से शुरू होगा। रामनवमी 2 अप्रैल को है। इन दोनों तारीखों को लेकर संघ भी सहमत है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से बताया जा रहा है कि संत समाज की सहमति से ही आगे की रूपरेखा तय की जाएगी। पहले मंदिर निर्माण का जिम्मा विश्व हिन्दू परिषद के पास था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने में ट्रस्ट बनाने को कहा है। इसलिए संत समाज और संघ की भूमिका अहम हो गई है।
बीएचपी नेताओं का भी कहना है कि राम मंदिर की नींव रखने के लिए संतों द्वारा सुझाई गई दो तारीखों से बेहतर कोई और तारीख नहीं हो सकती। अब सरकार पर भी दबाव रहेगा कि वह जल्द ही ट्रस्ट बनाए और इसमें संतों के प्रमुख वर्गों को शामिल करे।
इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रविवार को धर्मगुरुओं के साथ चार घंटे बैठक की। बैठक में धर्मगुरुओं ने शांति बनाए रखने की वचनबद्धता दोहराई। बैठक में बाबा रामदेव, स्वामी परमात्मानंद, मौलाना कल्बे जवाद, स्वामी अवधेशानंद गिरि आदि शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या की विवादित जमीन पर ट्रस्ट के जरिए मंदिर बनाने और मस्जिद के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था।
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से देश में अमन और शांति का माहौल है। हिन्दू और मुस्लिम समाज के लोग शांति, सौहार्द और भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश में रविवार को 4223 जगह ईद-ए-मिलादुनबी यानी बारावफात के जुलूस निकले। अयोध्या में कई जगहों पर हिंदुओं ने फूलों से जुलूस का स्वागत किया।
इसी तरह मुस्लिम नेताओं ने राम जन्मभूमि न्यास पहुंचकर रामलला को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए बधाई दी। इमाम शमसुल कमर कादरी ने कहा, ‘सौहार्द बनाए रखना सबकी जिम्मेदारी है। इसलिए हमने कोर्ट के फैसले के दिन शनिवार को बारावफात के जुलूस नहीं निकाले।'
Comments (0)