बिहार में दोपहर एक बजे अचानक बढ़ जाता है कोरोना टीकाकरण का ग्राफ, जानिए वजह

बिहार में दोपहर एक बजे अचानक बढ़ जाता है कोरोना टीकाकरण का ग्राफ, जानिए वजह

बिहार में कोविड-19 के टीकाकरण की गति बहुत धीमी है। टीके की कमी के चलते वैक्सीनेशन बहुत रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा। मगर जो भी टीकाकरण हो रहा है, उसमें एक रोचक पहलू भी है। राज्य में होने वाले टीकाकरण के आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार के सर्वाधिक लोग टीका लगवाने को जिस वक्त का चयन करते हैं, वो दोपहर एक बजे या उसके आसपास का होता है। यानी एक बजे के आसपास ही राज्य में सबसे ज्यादा लोग वैक्सीन लगवा रहे हैं।

राज्य में तकरीबन 10 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जानी है। इनमें से अभी तक एक करोड़ से अधिक का ही टीकाकरण हो पाया है। जिस रफ्तार से टीका लग रहा है, वो ना बढ़ी तो सारे लोगों को टीका लगने में सालों लग जाएंगे। इस बीच हमने बिहार के लोगों में टीकाकरण का ट्रेंड जानने की कोशिश की।

यूं तो टीकाकरण केंद्रों पर स्टाफ सुबह आठ बजे पहुंच जाते हैं। मगर टीकाकरण करीब नौ बजे शुरू होता है। तब रफ्तार बेहद धीमी होती है। हमने देखा कि टीकाकरण में असल तेजी दोपहर 12 बजे के बाद आती है। इसका पीक आता है तकरीबन एक बजे। जबकि दोपहर तीन बजे के बाद सारे टीकाकरण केंद्र लगभग खाली हो जाते हैं। हमने 24, 25, 26 और 27 मई के आंकड़े देखे तो हर दिन दोपहर करीब एक बजे ही बिहार के सर्वाधिक लोगों ने टीका लगवाया।

18 से 44 आयुवर्ग की ज्यादा हिस्सेदारी

राज्य में टीकाकरण का पीक दोपहर एक बजे के आसपास होता है। इसमें सबसे अहम भूमिका 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों की है। हर दिन एक बजे के आसपास होने वाले कुल टीकाकरण में तकरीबन 80 से 90 प्रतिशत हिस्सेदारी इसी आयुवर्ग के लोगों की है।

टीके से पहले खाना जरूरी

टीके की टाइमिंग को लेकर जब कुछ जानकारों से बात की तो उन्होंने इसमें खाने का अहम रोल बताया। दरअसल टीका खाली पेट नहीं लगवाया जाता। सो लोग नाश्ता करके या ज्यादातर लोग खाना खाने के बाद टीका लगवाने पहुंचते हैं। यही कारण है कि राज्य में अधिकांश टीकाकरण 12 से दो बजे के बीच ही होता है।