Unlock Shiksha EP 02 : लॉक-डाउन के दौरान बढ़ी ई-लर्निग की मांग,IGNOU के प्रोफेसर प्रमोद कुमार मेहरा ने बताया इलेक्टॉनिक शिक्षा का महत्व,समान शिक्षा पर दिया जोर
The India Plus News के विशेष कार्यक्रम 'Unlock Shiksha' में इग्नू के प्रोफेसर डॉ. प्रमोद कुमार मेहरा ने कहा कि देश में सभी को समान शिक्षा मिलनी चाहिए। किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। सरकार ने सभी को शिक्षा का अधिकार दिया है। लिहाजा, महानगरों में बैठा कोई विद्यार्थी हो या सुदूर इलाके के किसी गांव के छोटे से स्कूल में पढ़ने वाला छात्र, सभी तक सस्ती और सुलभ शिक्षा पहुंचनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और शिक्षा मंत्रालय दिशा में लगातार सकारात्म प्रयास कर भी रही है और सरकार के प्रयासों का प्रत्फल भी दिख रहा है।
भारत में कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन की वजह से इन दिनों ई-लर्निंग यानी इलेक्ट्रॉनिक लर्निंग का महत्व काफी बढ़ गया है। विद्यार्थी इलेक्टॉनिक डिवाइस और डिजिटल मीडिया के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। ई-शिक्षा के विभिन्न रूप है,जिसमे वेब आधारित लर्निंग, मोबाइल आधारित लर्निंग या एम लर्निंग और कंप्यूटर आधारित लर्निंग शामिल हैं। The India Plus News के विशेष कार्यक्रम ‘Unlock Shiksha’ में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. प्रमोद कुमार मेहरा ने ये बातें कही।
उन्होंने कहा कि ई-लर्निंग के बढ़ते साधनों से अब सीखना-सिखाना काफी आसान हो गया है। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर हो या घर, इन नए साधनों से लोग सीखने या अपने कौशल को बेहतर बनाने में मदद ले रहे हैं। शिक्षा को सुविधाजनक बनाने के लिए संस्थान छात्रों को टैबलेट का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं,जिससे वे ई-टेक्स्टबुक्स को आसानी से हासिल कर सकें। वे अपने टैबलेट्स के जरिए डिजिटल लाइब्रेरी और वीडियो ट्यूटोरियल उपलब्ध करा रहे हैं।
डॉ. मेहरा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान देश के अंदर पढ़ने की प्रवृत्ति में भी बड़ा बदलाव देखने को मिला है। वर्क फ्रॉम होम की तर्ज पर स्टडी फ्रॉम होम को भी बड़े पैमाने पर स्वीकार किया जा रहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश के बाद सीबीएसई संचालित अधिकतर स्कूलों ने नए शिक्षण सत्र की शुरुआत आॉनलाइन कर दी है। कई जगहों पर स्काइप, जूम, गूगल क्लासरूम जैसे डिजिटल माध्यम से कक्षाएं हो रही हैं।
प्रोफेसर मेहरा ने कहा कि देश में सभी को समान शिक्षा मिलनी चाहिए। किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। सरकार ने सभी को शिक्षा का अधिकार दिया है। लिहाजा, महानगरों में बैठा कोई विद्यार्थी हो या सुदूर इलाके के किसी गांव के छोटे से स्कूल में पढ़ने वाला छात्र, सभी तक सस्ती और सुलभ शिक्षा पहुंचनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और शिक्षा मंत्रालय दिशा में लगातार सकारात्म प्रयास कर भी रही है और सरकार के प्रयासों का प्रत्फल भी दिख रहा है।
दरअसल, सरकार ने पहले ही संकेत दिए हैं कि अगर लॉकडाउन हटाया भी जाता है तो वह चरणों में होगा और सबसे अंत में शिक्षण संस्थान खोल जाएंगे। अभी तक संकेत है कि इस साल जुलाई से पहले शिक्षण संस्थानों के खुलने की संभावना कम ही है। इन्हीं कारणों से छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए तमाम कोशिशें की जा रही है। इसके अलावा शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल एजुकेशन से जुड़े चैनल को प्राइवेट कपनियों को भी प्रसारित करने कहा है।
ज्ञात हो कि ई-लर्निग की बदौलत कई तरह के लर्निंग मोबाइल बन रहे हैं। ओपन एजुकेशन रिसोर्सेज यानी ओईआर टीचिंग और लर्निंग के मकसद से विकसित किया जाता है और मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है। यह डिजिटाइज्ड सामग्री ओपन डेवलपमेंट की सुविधा देती है। ओईआर में विशेष एजुकेशन कोर्स और विषय, डिजिटाइज्ड टेक्स्टबुक, वीडियो और अन्य सामग्री शामिल हैं,जिनका इस्तेमाल पढ़ाई के लिए किया जा रहा है।
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