Corona Effect : देश की सर्वोच्च अदालत का महत्वपूर्ण और व्यावहारिक फैसला,लाखों-करोड़ों लोगों को होगा फायदा,निजी लैब्स में भी हो सकेगी मुफ्त जांच

देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा देशभर के सरकारी लैब की तरह निजी लैब में भी कोरोना संक्रमण की मुफ्त जांच करने का आदेश भविष्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह इसलिए कि कुछ निजी लैब को इसकी अनुमति देने के बावजूद अभी तक जितने मामले आए हैं, सबकी जांच सरकारी लैबों में ही हुई है और वहां कोई शुल्क नहीं है। लेकिन स्थिति ज्यादा बदतर हुई तो फिर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से काम नहीं चलेगा।

Corona Effect : देश की सर्वोच्च अदालत का महत्वपूर्ण और व्यावहारिक फैसला,लाखों-करोड़ों लोगों को होगा फायदा,निजी लैब्स में भी हो सकेगी मुफ्त जांच
GFX of Crorona Virus Testing and Court Symble
Corona Effect : देश की सर्वोच्च अदालत का महत्वपूर्ण और व्यावहारिक फैसला,लाखों-करोड़ों लोगों को होगा फायदा,निजी लैब्स में भी हो सकेगी मुफ्त जांच
Corona Effect : देश की सर्वोच्च अदालत का महत्वपूर्ण और व्यावहारिक फैसला,लाखों-करोड़ों लोगों को होगा फायदा,निजी लैब्स में भी हो सकेगी मुफ्त जांच
Corona Effect : देश की सर्वोच्च अदालत का महत्वपूर्ण और व्यावहारिक फैसला,लाखों-करोड़ों लोगों को होगा फायदा,निजी लैब्स में भी हो सकेगी मुफ्त जांच

देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा देशभर के सरकारी लैब की तरह निजी लैब में भी कोरोना संक्रमण की मुफ्त जांच करने का आदेश भविष्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह इसलिए कि कुछ निजी लैब को इसकी अनुमति देने के बावजूद अभी तक जितने मामले आए हैं, सबकी जांच सरकारी लैबों में ही हुई है और वहां कोई शुल्क नहीं है। लेकिन स्थिति ज्यादा बदतर हुई तो फिर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से काम नहीं चलेगा।

संपन्न देशों की स्वास्थ्य संरचनाओं के लिए कोरोना को संभालना संभव नहीं हो रहा है। भारत की आबादी तो इन देशों से कई-कई गुणा ज्यादा है। इसमें निजी स्वास्थ्य संस्थाओं की भूमिका बढ़ जाएगी। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने तो नोएडा के कुछ अस्पतालों का अधिग्रहण भी कर लिया है।

दरअसल, शीर्ष अदालत के सामने कई याचिकाएं थीं। इनमें एक याचिका डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की समुचित सुरक्षा से संबंधित थी। हालांकि,इस याचिका की आवश्यकता थी नहीं,क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारें अपनी ओर से हरसंभव सुरक्षा किट उपलब्ध कराने की कोशिश कर रही हैं। इसमें किसी के वेतन में से कटौती करने का कोई प्रश्न नहीं है,किंतु याचिका में इसकी भी आशंका व्यक्त की गई थी।

देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा वेतन कटौती की किसी तरह की संभावना को खारिज करने के बाद इस पर कोई आदेश देने का अर्थ नहीं था। हां, अदालत ने सुरक्षा किट सहित अन्य सामग्रियां उपलŽध कराने और उनके खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार को रोकने के लिए कदम उठाने को जरूर कहा गया। यह स्वाभाविक भी है।

देश में कई स्थानों पर कोरोना संदिग्धों का पता लगाने गए स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले किए गए हैं। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होनी ही चाहिए। इसी तरह ऐसे संकट में मानव सेवा में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मकान मालिकों द्वारा या अपार्टमेंटों में अवांछित मानने का व्यवहार भी अस्वीकार्य है। ऐसा व्यवहार करने वाले दंड के पात्र हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वैसे सभी राज्यों से स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है और ऐसा हो भी रहा है। सरकारों की ओर से सख्त चेतावनियां भी जारी की गई हैं। हालांकि.जो लोग प्रवासी कामगारों और अन्य की देखभाल के लिए आदेश की अपील ले कर गए थे,उन्हें न्यायालय ने उचित ही निराश किया है। न्यायालय का यह कहना कि हम इसके विशेषज्ञ नहीं हैं और यह काम सरकार को ही करने दें, उन लोगों के लिए धक्का है जो सरकार के विरुद्ध कुछ टिप्पणियां कराने की मनोदशा से ऐसी चायिका लेकर गए थे।