मेरे संयम की परीक्षा ना लें, मर्यादा तोड़ना मुझे भी आता है... बिहार बीजेपी में घमासान, अपनी ही पार्टी के सांसद पर बिफरे भाजपा विधायक

राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने पैतृक घर को फूंके जाने की आशंका जताकर जिलेवासियों को अपमानित करने का काम किया है। क्या वह यह समझते हैं कि बेगूसराय की जनता उनकी नजर में अपराधी, खूनी व अज्ञानी है। यदि ऐसा नहीं है तो उन्हें जिलेवासियों से माफी मांगनी चाहिए। ये बातें नगर विधायक कुंदन कुमार ने पत्रकारों से कहीं। अपने ही दल के सांसद के खिलाफ बीजेपी विधायक कुंदन कुमार की ओर से मोर्चा खोले जाने के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है।

मेरे संयम की परीक्षा ना लें, मर्यादा तोड़ना मुझे भी आता है... बिहार बीजेपी में घमासान, अपनी ही पार्टी के सांसद पर बिफरे भाजपा विधायक

राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने पैतृक घर को फूंके जाने की आशंका जताकर जिलेवासियों को अपमानित करने का काम किया है। क्या वह यह समझते हैं कि बेगूसराय की जनता उनकी नजर में अपराधी, खूनी व अज्ञानी है। यदि ऐसा नहीं है तो उन्हें जिलेवासियों से माफी मांगनी चाहिए। ये बातें नगर विधायक कुंदन कुमार ने पत्रकारों से कहीं। अपने ही दल के सांसद के खिलाफ बीजेपी विधायक कुंदन कुमार की ओर से मोर्चा खोले जाने के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है। 

विधायक ने कहा कि शाम्हो पुल का श्रेय लेने के चक्कर में राज्यसभा सांसद इमोशनल व विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे हैं। शब्दों की मर्यादा लांघ रहे हैं। गाली सूचक शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। विधायक ने कहा कि उनके संयम की परीक्षा नहीं ली जाय। अन्यथा वे भी शब्दों की मर्यादा तोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे राज्यसभा सांसद के सामने तुच्छ व्यक्ति हैं। लेकिन, उनकी चुनौती को वे स्वीकार करते हैं। विधायक ने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते क्षेत्र समेत जिले की जनता की समस्याओं को उठाना उनका दायित्व है। खातोपुर-शाम्हो पुल की मांग को जब उन्होंने उठाया तो राज्यसभा सांसद व उनके समर्थकों ने इसे अफवाह बताया। लेकिन, 12 फरवरी को मीटिंग हुई और उन्हीं एलाइनमेंट पर चर्चा हुई, जिसकी उन्होंने चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि तथ्य को छिपाने की आखिर क्या मंशा थी। इसे स्पष्ट करना चाहिए। विधायक ने कहा कि कुछ लोगों ने उन्हें भौगोलिक ज्ञान नहीं होने का भी आरोप लगाया। लेकिन, राज्यसभा सांसद तो खुद स्वीकार करते हैं कि उन्हें बेगूसराय का भौगोलिक ज्ञान नहीं है। कहा कि 2020 में सिर्फ खातोपुर-शाम्हो का डीपीआर बनना था। लेकिन, इसमें बदलाव करने वाले लोग कौन थे। यह प्रश्न जनता के जेहन में कौंध रहा है। इसका खुलासा होना चाहिए। 

क्या है पूरा मामला

8 फरवरी को नगर विधायक ने पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया था कि कुछ लोग शाम्हो पुल को साहेबपुरकमाल विधासभा क्षेत्र ले जाने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने तीन एलाइनमेंट की जानकारी दी थी। उन्हीं में से एक एलाइनमेंट साहेबपुरकमाल क्षेत्र से संबंधित है। उन्होंने पुल निर्माण प्रक्रिया का श्रेय केंद्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद गिरिराज सिंह को दिया था।  12 फरवरी को जिला प्रशासन की ओर से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा, मटिहानी विधायक राजकुमार सिंह समेत अन्य जनप्रतिनिधियों की मीटिंग बुलाई गई थी। एनएचएआई की ओर से तीनों एलाइनमेंट को प्रस्तुत किया गया। इसमें सर्वसम्मति से बहदरपुर, बलहपुर, बिजुलिया पुल के एलाइनमेंट को अनुमोदित किया गया। 
12 फरवरी को ही जिला प्रशासन की बैठक से पहले राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पुल निर्माण की दिशा में इतनी मेहनत करनी पड़ी कि उतनी मेहनत से किसी छोटे राज्य का सीएम बन सकते थे। यह भी कहा कि एलाइनमेंट को लेकर जिस तरह से साहेबपुरकमाल ले जाने की साजिश करने का आरोप लगाया गया, इससे भड़के लोग उनके घर को भी फूंक सकते थे।

राज्यसभा सांसद ने कहा था कि इस पुल के निर्माण की स्वीकृति की प्रक्रिया में नौकरशाह व कंपनी के द्वारा पेंच पैदा किया गया। यह किसके इशारे पर हुआ वह जांच का विषय हो सकता है। सांसद ने कहा कि बड़े महलों में रहने वाले लोग ही इसका श्रेय लेने की लड़ाई लड़ सकते हैं। वे सामान्य परिवार से आते हैं। सांसद ने कहा था कि जनप्रतिनिधियों को उकसावे वाले बयान से बचना चाहिए। पुल के एलाइनमेंट में जिस तरह से उन्हें खलनायक सिद्ध करने की कोशिश की गई, उससे उनके परिवार की सुरक्षा खतरे में आ सकती थी। कहा कि वे जातिवाद, धनवाद, ठेकेदारी, पैसे की वूसली की अपसंस्कृति का विरोध करते रहेंगे। 

13 फरवरी को राजसभा सांसद राकेश सिन्हा का शाम्हो प्रखंड के कल्याण सिंह प्लस टू विद्यालय प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में भव्य अभिनंदन किया गया। इस दौरान सभा में सांसद ने कहा कि शाम्हो पुल बनाने में बाधा डालने वालों को दिल्ली तक नहीं छोड़ेंगे। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों को बोगो सिंह द्वारा पुल बनाने की चुनौती मिलने, उसे स्वीकार करने और पुल बनवाने की स्वीकृति दिलाने में आई अनेक बाधाओं को पूरे विस्तार से ग्रामीणों के समक्ष रखा था। यह भी कहा था कि वे दुबारा सदन में जाएं या नहीं, लेकिन विकास को लेकर संघर्ष जारी रहेगा।