देश का वह कौन सा राज्य है, जहां रहते हैं सबसे गरीब लोग?

झारखंड में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले यानी बीपीएल सबसे ज्यादा हैं। देश में सबसे ज्यादा गरीब लोग झारखंड में हैं। झाखंड में लगभग 37 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं। वहीं, बिहार में 33.7 फीसदी, तो पश्चिम बंगाल में 20 फीसदी परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं।

देश का वह कौन सा राज्य है, जहां रहते हैं सबसे गरीब लोग?
Pic of BPL Family In Jharkhand
देश का वह कौन सा राज्य है, जहां रहते हैं सबसे गरीब लोग?

झारखंड को संपन्न राज्यों में गिना जाता है। यहां प्रचूर मात्रा में खनीज संपदाएं हैं। औद्योगिक इकाइयों की भरमार हैं। बड़ी संख्या में कल-कारखाने हैं। कोयला, लोहा, जस्ता और अभ्रक की खाधाने हैं। लेकिन कटू सत्य यह भी है कि देश में सबसे ज्यादा गरीब लोग झारखंड में ही हैं। झारखंड में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले यानी बीपीएल सबसे ज्यादा हैं।

झाखंड में लगभग 37 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं। वहीं, बिहार में 33.7 फीसदी, तो पश्चिम बंगाल में 20 फीसदी परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं। बंगाल में राष्ट्रीय औसत से कम गरीब हैं। कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है। गरीबी रेखा की सीमा तय करने के लिए डॉक्टर सुरेश डी तेंडुलकर की अध्यक्षता में बने विशेषज्ञ समूह की अनुशंसा को आधार मानकर मंत्रालय ने बीपीएल परिवारों का आंकड़ा जारी किया है।

मंत्रालय की रिपोर्ट ‘एग्रिकल्चरल स्टैटिस्टिक्स एट ए ग्लांस 2017 के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2004-05 में झारखंड में 45.3 फीसदी परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे थे। इसमें 51.6 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में और 23.8 फीसदी शहरी क्षेत्र में रह रही थी। वर्ष 2009-10 में बीपीएल परिवारों की संख्या घटकर 39.1 फीसदी रह गई। इनमें 41.6 फीसदी ग्रामीण और 31.1 फीसदी शहरी आबादी थी।

वर्ष 2004-05 और 2009-10 के दौरान झारखंड के गांवों में रहने वाले गरीबों की आबादी 10 फीसदी घटी, जबकि शहरों में गरीबों की संख्या 7.3 फीसदी बढ़ गई। वर्ष 2009-10 में शहरों में 31.1 फीसदी बीपीएल परिवार हो गए, जबकि गांवों में 41.6 फीसदी गरीब रह गए। वर्ष 2009-10 में झारखंड में शहरी और ग्रामीण आबादी को मिलाकर कुल 39.1 फीसदी बीपीएल परिवार रह गए।

रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2009-10 और 2011-12 के दौरान बीपीएल परिवारों की संख्या में 2.1 फीसदी की कमी दर्ज की गई। इनमें 40.8 फीसदी ग्रामीण और 24.8 फीसदी शहरी आबादी थी। आंकड़ों पर गौर करें, तो पाएंगे कि इस दौरान झारखंड ने गरीबी खत्म करने की दिशा में तेजी से काम किया है। इन तीन सालों में झारखंड में 6.3 फीसदी परिवार गरीबी रेखा से बाहर आ गए हैं।