शाशन-प्रशासन की अनदेखी ने ली सैंकड़ों मासूमों की जान!

बिहार के मुजफ्फरपुर और उसके आसपास जिले में सैंकड़ों बच्चों की हुई मौत का जिम्मेदार कोई और नहीं, राज्य की सरकार और वहां का प्रशासनिक तंत्र है। इसका खुलासा बच्चों की हाल में हुई मौतों की स्वतंत्र जांच करने वाले डॉक्टरों के एक समूह ने किया है। जांच टीम का दावा है कि इस त्रासदी के लिए प्रशासनिक विफलता और लोगों के प्रति राज्य सरकार की उदासीनता जिम्मेदार है।

शाशन-प्रशासन की अनदेखी ने ली सैंकड़ों मासूमों की जान!
Pic of SKMCH Ward, Muzafferpur
शाशन-प्रशासन की अनदेखी ने ली सैंकड़ों मासूमों की जान!

बिहार के मुजफ्फरपुर और उसके आसपास जिले में चमकी बुखार से सैंकड़ों बच्चों की हुई मौत का जिम्मेदार कोई और नहीं, राज्य की सरकार और वहां का प्रशासनिक तंत्र है। इसका खुलासा बच्चों की हाल में हुई मौतों की स्वतंत्र जांच करने वाले डॉक्टरों के एक समूह ने किया है। जांच टीम का दावा है कि इस त्रासदी के लिए प्रशासनिक विफलता और लोगों के प्रति राज्य सरकार की उदासीनता जिम्मेदार है। जांच में शामिल डॉक्टरों का यह भी दावा है कि ज्यादातर मृतक बच्चों के माता-पिता की सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक पहुंच नहीं थी, क्योंकि उनके पास राशन कार्ड नहीं थे। 

जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि आशा कार्यकर्ता उप-केंद्रों और आंगनवाड़ी सेवाओं की संख्या और कार्यों में भारी कमी है और लोगों का स्थानीय स्वास्थ्य प्रणाली में विश्वास नहीं है। टीकाकरण सेवाएं तो अत्यंत खराब हैं।

प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट्स फोरम (पीएमएसएफ) के बैनर तले डॉक्टरों की एक फैक्ट-फाइन्डिंग टीम के द्वारा तैयार की गई प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर बच्चे कुपोषित थे और किसी का भी इलाज नहीं हुआ था। इसके अलावा उनमें से किसी के पास भी विकास निगरानी कार्ड तक नहीं थे। समूह में यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टर भी शामिल थे।

डॉक्टरों की इस जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि निकटतम मेडिकल कॉलेज श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में आपातकालीन कक्ष में एक दिन में 500 रोगियों की देखभाल के लिए केवल चार डॉक्टर और तीन नर्स हैं। दवाओं और उपकरणों की भारी कमी है। डॉक्टरों के समूह ने दावा किया कि विभिन्न स्तरों पर खामियों के बावजूद किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

पीएमएसएफ के राष्ट्रीय संयोजक और एम्स रेजिडेन्ट डॉक्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर हरजीत सिंह भाटी ने कहा कि ये मौतें पिछले दस वर्षों से हो रही हैं और अभी भी खास बीमारियों या क्षेत्र में अतिसार जैसी आम बीमारी के लिए कोई निवारक तंत्र और स्वास्थ्य जागरूकता नहीं है। उन्होंने कहा कि पेयजल की भारी किल्लत है और पूरे मुजफ्फरपुर में समुचित सीवरेज प्रणाली भी नहीं है। स्वास्थ्य केंद्रों में सफाई की स्थिति भी बहुत खराब है।