गुजरात मॉडल को देश के किसी भी हिस्से और किसी भी राज्य में लागू किया जा सकता है : रामनाथ कोविंद 

गुजरात के विकास मॉडल की तारीफ करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इसे देश के किसी भी हिस्से में लागू किया जा सकता है। गुरुवार को विधानसभा में अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि राज्य के लोगों ने सूबे के विकास में अहम योगदान दिया है। इसके अलावा इसी राज्य से निकले सरदार पटेल और महात्मा गांधी ने पूरे देश को विकास के लिए प्रेरित किया।

गुजरात मॉडल को देश के किसी भी हिस्से और किसी भी राज्य में लागू किया जा सकता है : रामनाथ कोविंद 

विकास मॉडल की तारीफ करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इसे देश के किसी भी हिस्से में लागू किया जा सकता है। गुरुवार को विधानसभा में अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि राज्य के लोगों ने सूबे के विकास में अहम योगदान दिया है। इसके अलावा इसी राज्य से निकले सरदार पटेल और महात्मा गांधी ने पूरे देश को विकास के लिए प्रेरित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि बीते कुछ सालों में जिस तरह से गुजरात मॉडल पर काम हुआ है, उससे ऐसा लगता है कि इसे देश के किसी भी हिस्से और किसी भी राज्य में लागू किया जा सकता है। राज्य की विधानसभा में यह किसी भी राष्ट्रपति का पहला संबोधन था।

आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर गुजरात विधानसभा में यह आयोजन किया गया था। उन्होंने सदन में कहा, 'साबरमती रिवर फ्रंट शहरी विकास का एक शानदार मॉडल है। साबरमती नदी और उसके किनारे बसे लोगों के बीच का जो रिश्ता है, उसने ही पर्यावरण के अनुकूल विकास को बढ़ाने का काम किया है। देश के अन्य शहरों के लिए भी यह विकास मॉडल अनुकरणीय है, जो नदियों के किनारे बसे हैं।' उन्होंने कहा कि सदन में बैठे लोग अपने क्षेत्र और लोगों के प्रतिनिधि होते ही हैं, लेकिन इससे भी अहम बात यह है कि लोगों ने उन्हें भाग्य का निर्माता समझते हैं। 

उन्होंने कहा कि लोगों की आकाक्षाएं और उम्मीदें जनप्रतिनिधियों से जुड़ी होती हैं। जनता की इन अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए गुजरात से अच्छी जगह कोई और नहीं हो सकती। उन्होंने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि बापू ने न सिर्फ आजादी के आंदोलन में योगदान दिया बल्कि नया रास्ता, नई सोच और दुनिया को एक नया दर्शन भी दे दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया में आज जहां भी हिंसा का माहौल दिखता है, वहां महात्मा गांधी का अहिंसा का मंत्र याद आता है।