हनुमान जी ‘दंगाई’, छठ-दीवाली पर लिबरल राग,स्वस्तिक को झाड़ू : केजरीवाल की हिंदूफोबिया पुरानी, कश्मीरी पंडित नए शिकार

अरविंद केजरीवाल के हिन्दू विरोध का आलम देखिए कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले हनुमान मंदिर में दर्शन करने और हनुमान चालीसा पढ़ने वाले अरविंद केजरीवाल कभी भगवान हनुमान का भी अपमान कर चुके हैं। उन्होंने साथ-साथ स्वस्तिक का भी अपमान किया था।

हनुमान जी ‘दंगाई’, छठ-दीवाली पर लिबरल राग,स्वस्तिक को झाड़ू : केजरीवाल की हिंदूफोबिया पुरानी, कश्मीरी पंडित नए शिकार

जहाँ एक तरफ पूरे देश की जनता कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के सच्चे इतिहास पर बनी फिल्म ‘The Kashmir Files’ को देख कर बर्बर इस्लामी इतिहास से परिचित हो रही है, वहीं दूसरी तरफ ‘आम आदमी पार्टी (AAP)’ के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने इसे एक ‘झूठी पिक्चर’ बताते हुए दिल्ली में फिल्म को टैक्स फ्री करने से इनकार कर दिया ये दिल्ली के मुख्यमंत्री के हिन्दू विरोधी रवैया को दिखाता है। जिस तरह वो और उनकी पार्टी के नेता हिन्दुओं के नरसंहार पर ठहाके लगाते हुए देखे गए, वो उनकी संवेदनहीनता को दर्शाता है।

अरविंद केजरीवाल ने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर लगाव ठहाके:

अरविंद केजरीवाल ने इस भाषण में कहा था, “निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को इतना ही शौक है तो बोलो यूट्यूब पर डाल देगा, वहाँ सब कुछ फ्री है और सारे लोग देख लेंगे एक ही दिन के अंदर। टैक्स फ्री कराने की ज़रूरत ही क्या है?” AAP विधायकों ने अपनी पार्टी के सुप्रीमो के इस बयान का स्वागत करते हुए विधानसभा में मेज थपथपाए। केजरीवाल सहित AAP विधायक ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर ठहाके लगाते हुए देखे गए।

हालाँकि, उनका ये हिन्दू विरोधी या देश विरोधी रवैया नया नहीं है। अब तो उनके इस बयान के सामने आने के बाद कश्मीरी शरणार्थियों ने भी उनकी पोल खोल दी है। उन्होंने 233 कश्मीरी पंडितों को नौकरी देने का दावा किया था। लेकिन, ‘गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन (माइग्रेंट)’ ने बताया है कि कैसे इन शिक्षकों के खिलाफ उन्होंने दिल्ली उच्च-न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी। प्रवासी शिक्षक संघ ने उनके बयान को झूठा बताया। इससे साफ़ है कि वो इससे पहले भी कश्मीरी पंडितों के खिलाफ ही रहे हैं।

भारतीय सेना से माँग चुके हैं सबूत, देश के जवानों की करते रहे हैं बेइज्जती:

अरविंद केजरीवाल के राष्ट्र विरोधी रवैये की भी बात कर लेते हैं अब जरा। क्या आपको ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ याद है? उस समय भारत की सेना ने ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK)’ में घुस कर आतंकियों के ठिकाने तबाह किए थे और कई दहशतगर्दों को मौत के घाट उतार दिया था। उरी हमले के बाद हुई इस कार्रवाई के बाद देश जहाँ अपने जवानों की पीठ थपथपा रहा था, अरविंद केजरीवाल भारतीय सेना से सबूत माँग रहे थे।

याद कीजिए कि अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से सितंबर 2016 में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो को जारी करने की माँग की थी और कहा था कि विदेशी मीडिया पाकिस्तान के दावे को सही ठहरा रही है। उन्होंने ये तक दावा कर दिया था कि इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की जगह भारत ही अलग-थलग पड़ रहा है। अपने वीडियो संदेश में दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा था, “ऐसी खबरों को देखकर मेरा खून खौल रहा है।”

इतना ही नहीं, अरविंद केजरीवाल ने फरवरी 2016 में हुए बालाकोट एयर स्ट्राइक को लेकर भी राजनीति की थी। पुलवामा हमले के बाद हुई भारतीय वायुसेना की इस कार्रवाई को लेकर उन्होंने तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर झूठ बोलने का आरोप लगा दिया था। जब अमित शाह ने उस कार्रवाई में 250 आतंकियों के मारे जाने की बात कही, तब केजरीवाल ने उन पर झूठ बोलने का आरोप लगा दिया। उलटा उन्होंने भाजपा पर ही सेना को झूठा बोलने के आरोप लगा दिए थे।

उन्होंने मोदी सरकार पर पाकिस्तान समर्थित होने का आरोप लगा दिया था। ये भी याद कीजिए कि 2021 के स्वतंत्रता दिवस समारोह में जब लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के जवानों के लिए, खिलाड़ियों के लिए, सुरक्षाकर्मियों के लिए ताली बजवा रहे थे, उस समय वहाँ बैठे सब लोग तालियाँ बजाकर सम्मान दे रहे थे, लेकिन केजरीवाल को हाथ बाँधे देखा गया था। ऐसी हरकतों पर भला लोग उन्हें क्यों न देश विरोधी कहें?

हिन्दू देवी-देवताओं और प्रतीक चिह्नों का भी अपमान कर चुके हैं दिल्ली के CM:

अब अरविंद केजरीवाल के हिन्दू विरोध का आलम देखिए कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले हनुमान मंदिर में दर्शन करने और हनुमान चालीसा पढ़ने वाले अरविंद केजरीवाल कभी भगवान हनुमान का भी अपमान कर चुके हैं। उन्होंने साथ-साथ स्वस्तिक का भी अपमान किया था। उन्होंने एक ट्वीट किया था, जिसमें एक प्रतीकात्मक चित्र में झाड़ू लिया हुआ व्यक्ति ‘स्वस्तिक’ चिह्न को खदेड़ कर भगा रहा है। हिन्दू संस्कृति में मांगलिक कार्यों में प्रयोग होने वाले स्वस्तिक का इस तरह से अपमान कर के वो किस तरह की राजनीति करना चाहते थे?