असम में दो अधिक बच्चेवालों को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी,सर्बानंद सोनोवाल  सरकार ‘हम दो-हमारे दो’ पॉलिसी को सख्ती से कर रही लागू

प्रदेश के उद्योग मंत्री कहा है कि राज्य में उन लोगों को सरकारी नौकरी के योग्य नहीं माना जाएगा, जो दो बच्चों वाली परिवार पॉलिसी का पालन नहीं करते हैं। दो से अधिक बच्चेवालों को ट्रैक्टर देने, आवास मुहैया कराने और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल सकेगा। इसके अलावा वे राज्य निर्वाचन आयोग के अंतर्गत होने वाले पंचायत, स्वायत्त परिषद और नगर निकाय चुनावों के लिए उम्मीदवारी पेश करने के भी योग्य नहीं होंगे।

असम में दो अधिक बच्चेवालों को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी,सर्बानंद सोनोवाल  सरकार ‘हम दो-हमारे दो’ पॉलिसी को सख्ती से कर रही लागू
Pic of Nuclear Family (Courtesy Google)
असम में दो अधिक बच्चेवालों को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी,सर्बानंद सोनोवाल  सरकार ‘हम दो-हमारे दो’ पॉलिसी को सख्ती से कर रही लागू

देश की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में सरकार की ओर से की जा रही कोशिशों के बावजूद सकारात्मक असर नहीं दिख रहा है। ऐसे में असम की भारतीय जनता पार्टी नीत सर्बानंद सोनोवाल  सरकार ने सख्त लेकिन सहारनीय कदम उठाने का निर्णय लिया है। 1 जनवरी 2021 के बाद दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्तियों को कोई सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।

प्रदेश के उद्योग मंत्री कहा है कि राज्य में उन लोगों को सरकारी नौकरी के योग्य नहीं माना जाएगा, जो दो बच्चों वाली परिवार पॉलिसी का पालन नहीं करते हैं। दो से अधिक बच्चेवालों को ट्रैक्टर देने, आवास मुहैया कराने और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल सकेगा। इसके अलावा वे राज्य निर्वाचन आयोग के अंतर्गत होने वाले पंचायत, स्वायत्त परिषद और नगर निकाय चुनावों के लिए उम्मीदवारी पेश करने के भी योग्य नहीं होंगे।

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दरअसल, असम विधानसभा ने सितंबर 2017 में "जनसंख्या और महिला सशक्तिकरण पॉलिसी" पारित की थी। जिसके मुताबिक केवल दो बच्चों वाले उम्मीदवार ही सरकारी नौकरी के लिए योग्य हैं,जबकि मौजूदा सरकारी कर्मचारी दो बच्चों के परिवार के नियम का पालन करेंगे।

असम सरकार की तरफ से लड़कियों को यूनिवर्सिटी लेवल तक की शिक्षा मुफ्त मुहैया कराने का भी सुझाव दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि वो स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए फीस, परिवहन, छात्रावास में भोजन और किताबों जैसी सुविधाएं मुफ्त देना चाहते हैं।