बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी को झटका, पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने सक्रिय राजनीति से लिया संन्यास, कहा-अब आराम करना चाहता हूं!
शिवानंद तिवारी ने अपने एक पोस्ट में लिखा “थकान अनुभव कर रहा हूं। शरीर से ज्यादा मन की थकान है। संस्मरण लिखना चाहता था। वह भी नहीं कर पा रहा हूं। इसलिए जो कर रहा हूं उससे छुट्टी पाना चाहता हूं। संस्मरण लिखने का प्रयास करूंगा। लिख ही दूंगा, ऐसा भरोसा भी नहीं है। लेकिन प्रयास करूंगा। इसलिए राजद की ओर से जिस भूमिका का निर्वहन अबतक मैं कर रहा था उससे छुट्टी ले रहा हूं”।
बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को जोर का झटका लगा है। आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया है। शिवानंद ने सोशल मीडिया के जरिए इसकी जानकारी दी है।
शिवानंद तिवारी ने अपने एक पोस्ट में लिखा “थकान अनुभव कर रहा हूं। शरीर से ज्यादा मन की थकान है। संस्मरण लिखना चाहता था। वह भी नहीं कर पा रहा हूं। इसलिए जो कर रहा हूं उससे छुट्टी पाना चाहता हूं। संस्मरण लिखने का प्रयास करूंगा। लिख ही दूंगा, ऐसा भरोसा भी नहीं है। लेकिन प्रयास करूंगा। इसलिए राजद की ओर से जिस भूमिका का निर्वहन अबतक मैं कर रहा था उससे छुट्टी ले रहा हूं”।
आपको बताते चलें कि शिवानंद तिवारी बिहार के दिग्गज नेताओं में गिने जाते हैं। शिवानंद तिवारी मूल रूप से भोजपूर के रहने वाले हैं। पहले वे लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल पार्टी के एक प्रमुख नेता और प्रवक्ता थे। बाद में वे जद (यू) के महासचिव और प्रवक्ता बने। 27 फरवरी 2014 को उन्हें राज्यसभा के लिए उम्मीदवार नहीं बनाते हुए पार्टी के चार अन्य लोकसभा सदस्यों के साथ नीतीश के जनता दल से निष्कासित कर दिया गया। नीतीश के जनता दल (यू) के साथ अपने निष्कासित होने के बाद लालू प्रसाद यादव के आरजेडी में फिर से शामिल हो गए।
शिवानंद तिवारी अपने राजनीतिक जीवन में अनेक पद पर रहे। सबसे पहले उन्होंने 1996 में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और शाहपुर से विधानसभा का चुनाव जीता। इसके बाद साल 2000 में आरजेडी के टिकट पर शाहपुर से ही दूसरी बार बिहार विधान सभा पहंचे। 2000 से 2005 ये बिहार के आबकारी और निषेध मंत्री रहे। शिवानंद तिवारी मई 2008 से अप्रैल 2014 तक जनता दल यूनाइटेड के समर्थन से राज्यसभा सांसद भी रहे। 2008 में वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य बने और 2014 से अब तक राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर थे।
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