ईरान का गला घोटे अमेरिका

ईरान ने यूरोपीय राष्ट्रों से अपील की है कि यदि 2015 के उस समझौते के वे भागीदार हैं तो यह उनका कर्तव्य है कि अमेरिकी दबाव को झेलने में ईरान की मदद करें। वरना 60 दिन बाद ईरान एकतरफा जवाबी कार्रवाई शुरु कर देगा। यानि ईरान परमाणु बम भी बना सकता है।

ईरान का गला घोटे अमेरिका
Trumph (File Photo)

अमेरिका ने पहले ईरान के तेल बेचने पर प्रतिबंध लगाया और अब उसने उसके लोहे, इस्पात और एल्यूमिनियम के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। 90 दिन के इस प्रतिबंध के बाद ईरान से जो भी देश ये चीज़े खरीदेगा, उसके विरुद्ध अमेरिका कुछ न कुछ कार्रवाई जरुर करेगा। दूसरे शब्दों में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ईरान का गला घोटने पर उतारु हो गया है। जाहिर है कि ये प्रतिबंध लागू हो गए तो ईरान की लड़खड़ाती हुई अर्थ-व्यवस्था को धराशायी होने से कोई रोक नहीं सकता।

अमेरिका के मुकाबले ईरान छोटा और कम ताकतवर देश जरुर है लेकिन उसकी इच्छा-शक्ति प्रबलतर है। 1976-77 के दिनों की मुझे खूब याद है, जब ईरान के शाह के खिलाफ आयतुल्लाह खुमैनी का जन-आंदोलन चल रहा था। मैंने अपनी आंखों से तेहरान, मशद, कुम, इस्फहान, शीराज आदि शहरों में बहादुर ईरानी लोगों की कुर्बानियां देखी थीं। इन ईरानियों को अमेरिका ब्लेकमेल करने में सफल नहीं होगा।

ट्रंप का कहना है कि ईरान के साथ 2015 में जो परमाणु-समझौता (ओबामा के)  अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, रुस और चीन ने मिलकर किया था, वह गलत था। उसे नए ढंग से लिखा जाना चाहिए। यदि ईरान ट्रंप की नई शर्तें स्वीकार नहीं करेगा तो अमेरिका ने उस समझौते को तो नकार ही दिया है, वह ईरान की कमर तोड़कर रख देगा ताकि वह इस समझौते की आड़ में परमाणु-बम न बना सके। ईरान भी कब झुकनेवाला है। उसने ताजा घोषणा की है कि यदि यूरोपीय राष्ट्र अमेरिकी प्रतिबंधों को हटवाने में मदद नहीं करेंगे तो वह परमाणु-समझौते में किए गए अपने वायदों में ढील देना शुरु कर देगा। उसका परिणाम यह होगा कि वह यूरेनियम को 3.67 प्रतिशत की बजाय 90 प्रतिशत तक संशोधित करने लगेगा, जो परमाणु बम बनाने के काम आता है। समझौते के पहले उसके पास 10 हजार किलो संशोधित यूरेनियम था लेकिन अब सिर्फ 300 किलो कम संशोधित ही है। यह मात्रा भी बढ़ सकती है।

ईरान ने यूरोपीय राष्ट्रों से अपील की है कि यदि 2015 के उस समझौते के वे भागीदार हैं तो यह उनका कर्तव्य है कि अमेरिकी दबाव को झेलने में ईरान की मदद करें। वरना 60 दिन बाद ईरान एकतरफा जवाबी कार्रवाई शुरु कर देगा। यानि ईरान परमाणु बम भी बना सकता है। इस मामले में भारत और चीन को आगे बढ़कर पहल करनी चाहिए। वरना ईरान और अमेरिका के बीच वैसा ही दंगल हो सकता है, जैसा सद्दाम के एराक और अमेरिका में हुआ था। दक्षिण एशिया के लिए यह नया खतरा पैदा हो सकता है।