Corona Impact :  प्रवासी मजदूरों के पलायन पर कन्फेडरशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने जताई चिंता, कहा-नहीं कर पा रहे हैं कारोबार,केंद्र और राज्य सरकारों को होगी राजस्व की हानि

कैट का कहना है कि जिन राज्यों से मजदूर पलायन कर गए हैं, उन राज्यों में काम है, पर मजदूर नहीं हैं, जबकि जिन राज्यों में मजदूर पलायन कर गए हैं, वहां काम नहीं है। इससे अर्थव्यवस्था का संतुलन बिगड़ जाएगा। मजदूरों की कमी और ग्राहकों के बाजार में कम आने के कारण व्यापार न के बराबर चल रहा है।

Corona Impact :  प्रवासी मजदूरों के पलायन पर कन्फेडरशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने जताई चिंता, कहा-नहीं कर पा रहे हैं कारोबार,केंद्र और राज्य सरकारों को होगी राजस्व की हानि
Pic of CAIT National Seminar On Covid-19 Impact
Corona Impact :  प्रवासी मजदूरों के पलायन पर कन्फेडरशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने जताई चिंता, कहा-नहीं कर पा रहे हैं कारोबार,केंद्र और राज्य सरकारों को होगी राजस्व की हानि
Corona Impact :  प्रवासी मजदूरों के पलायन पर कन्फेडरशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने जताई चिंता, कहा-नहीं कर पा रहे हैं कारोबार,केंद्र और राज्य सरकारों को होगी राजस्व की हानि

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में मजदूरों के पलायन के कारण व्यापार और उद्योग बड़े संकट के दौर से गुजर रहे हैं। देश भर में दुकानें और उद्योग खुलने के बाद भी कारोबार समुचित रूप से हो नहीं पा रहा है। कन्फेडरशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का कहना है कि मजदूरों का पलायन व्यापार के अस्तित्व के लिए बड़ा मुद्दा बन गया है।

कैट ने मजदूरों के पलायन के लिए केंद्र के साथ राज्यों को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि यदि राज्य सरकारें केंद्र सरकार से बातचीत कर शुरू से इस मामले की गंभीरता को समझती तो इस तरह मजदूरों का पलायन नहीं होता। मजदूरों के जाने से कारोबार बिलकुल नहीं हो रहा है, जिसके कारण केंद्र और राज्य सरकारों को राजस्व की बड़ी हानि होगी। 

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने इस मामले को व्यापार के लिए बेहद गंभीर बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के आदेश के बाद देश के विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा वर्तमान लॉकडाउन की अवधि में छूट दिए जाने के बाद पिछले दो दिनों से दिल्ली सहित देश भर में व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान खोले हैं, लेकिन कारोबार आंशिक रूप से ही शुरू हो पाया है। बड़ी संख्या में मजदूरों के पलायन से व्यापार और उद्योग सेक्टर में काम प्रभावित हो रहा है। कोरोना के डर से ग्राहक भी काफी कम आ रहे हैं।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि राजधानी दिल्ली में लगभग 30 लाख मजदूर व्यापार जगत से जुड़े थे, ये अधिकतर दिल्ली में प्रवासी मजदूर थे। इन मजदूरों में से लगभग 26 लाख मजदूर पलायन कर चुके हैं। दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में ग़ाज़ियाबाद, नॉएडा,फरीदाबाद, गुरुग्राम, बल्लबगढ़, सोनीपत जैसे शहरों से लगभग 4 लाख मजदूर प्रतिदिन दिल्ली आते हैं जो वर्तमान में राज्यों के बॉर्डर पर प्रतिबन्ध होने के कारण दिल्ली नहीं आ पा रहे हैं।

कैट का कहना है कि जिन राज्यों से मजदूर पलायन कर गए हैं, उन राज्यों में काम है, पर मजदूर नहीं हैं, जबकि जिन राज्यों में मजदूर पलायन कर गए हैं, वहां काम नहीं है। इससे अर्थव्यवस्था का संतुलन बिगड़ जाएगा। मजदूरों की कमी और ग्राहकों के बाजार में कम आने के कारण व्यापार न के बराबर चल रहा है।

अगर यही हाल रहा तो व्यापार में बहुत बड़ी कमी आएगी, जिसका सीधा असर केंद्र और राज्य को जाने वाले जीएसटी कर संग्रह पर पड़ेगा। कैट ने कहा कि यह स्तिथि देश के हर राज्य में है। इस विस्फोटक स्तिथि को देखते हुए केंद्र सरकार को जल्द राज्य सरकारों से बातचीत कर मजदूरों को वापिस लाने के लिए एक ठोस योजना बनानी चाहिए।