जामिया हिंसा मामला : वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की सुप्रीम कोर्ट में याचिका, अदालत कल करेगी सुनवाई, मुख्य न्यायाधीश ने कहा-छात्र कानून-व्यवस्था हाथ में नहीं ले सकते

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुए हिंसा मामले पर वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इंदिरा जयसिंह की अर्जी पर शीर्ष अदालत सुनवाई को तैयार हो गई है। अदालत मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।

जामिया हिंसा मामला :  वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की सुप्रीम कोर्ट में याचिका, अदालत कल करेगी सुनवाई, मुख्य न्यायाधीश ने कहा-छात्र कानून-व्यवस्था हाथ में नहीं ले सकते
GFX of Senior Lawyer Indira Jaisingh with Supreme Court
जामिया हिंसा मामला :  वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की सुप्रीम कोर्ट में याचिका, अदालत कल करेगी सुनवाई, मुख्य न्यायाधीश ने कहा-छात्र कानून-व्यवस्था हाथ में नहीं ले सकते
जामिया हिंसा मामला :  वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की सुप्रीम कोर्ट में याचिका, अदालत कल करेगी सुनवाई, मुख्य न्यायाधीश ने कहा-छात्र कानून-व्यवस्था हाथ में नहीं ले सकते

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुए हिंसा मामले पर वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इंदिरा जयसिंह की अर्जी पर शीर्ष अदालत सुनवाई को तैयार हो गई है। अदालत मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।

वकील इंदिरा जयसिंह ने मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की बेंच को मामले का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यह मानवाधिकार हनन का गंभीर मामला है। इंदिरा जयसिंह की अपील को मामने हुए अदालत की ओर से मंगलवार को सुनवाई करने कानिर्णय लिया गया है।

सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश सीए बोबडे ने जामिया हिंसा मामले पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि वे स्टूडेंट्स हैं, इसका मतलब ये नहीं कि वे कानून-व्यवस्था अपने हाथ में ले लेंगे। हिंसा रूक जाएगी, तभी हम इस मामले को सुनेंगे।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "वे विद्यार्थी हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि वे कानून-व्यवस्था अपने हाथ में ले सकते हैं, इस पर सब कुछ शांत होने पर फैसला लेना होगा। इस समय ऐसा माहौल नहीं है, जब हम कुछ तय कर सकें, दंगे रुकने दीजिए." दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी जामिया विश्वविद्यालय में छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में दाखिल याचिका को सुनवाई के लिए तुरंत सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया है।

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के जामिया विश्वविद्यालय और उसके आस-पास के इलाकों रविवार को भी प्रदर्शन जारी रहा। नागरिकता (संशोधन) कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में पुलिस के साथ झड़प हो गई, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने डीटीसी की चार बसों और दो पुलिस वाहनों में आग लगा दी।

झड़प में छात्रों, पुलिसकर्मियों और दमकलकर्मी समेत करीब 60 लोग घायल हो गए। साथ ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी पुलिस के साथ छात्रों की झड़प हुई, जिसमें करीब 60 लोग घायल हो गए। इसके बाद प्रशासन ने इंटरनेट पर रोक लगा दी है।

पुलिस ने हिंसक भीड़ को खदेडने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े लेकिन उन पर गोलियां चलाने की बात से इनकार किया है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।

सड़कों पर आगजनी और झड़प के बाद दिल्ली पुलिस जामिया विश्वविद्यालय के परिसर में घुस गई जहां हिंसा में कथित तौर पर शामिल होने को लेकर कई लोगों को हिरासत में ले लिया, हालांकि, 6 घंटे हिरासत में रखने के बाद छात्रों को छोड़ दिया गया।  जामिया के छात्रों ने पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ पुलिस हेडक्वार्टर पर देर रात तक प्रदर्शन किया। 

हिंसा और दिल्ली मेट्रो के कई स्टेशन बंद होने के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के समीप हिंसक प्रदर्शन के मद्देनजर कई घंटों तक 13 स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार बंद कर दिए।