आइये जानते हैं, आखिर क्यों 'हसुड़ी औसानपुर' गॉंव को मिला मोदी सरकार से दो-दो पुरस्कार ?

विकास का श्रेय युवा ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी को जाता है जिन्होंने इस गांव में इस कदर विकास किया कि यहाँ पर बढियाँ प्राइमरी स्कूल है। सीसीटीवी कैमरे, कम्युनिटी रेडियो सहित शानदार पंचायत भवन है। इस गाँव की जमीनों का पूरा ब्यौरा इंटरनेट पर उपलब्ध है। यहां के शत-प्रतिशत गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। गांव में संदेश पहुंचाने के लिए कई लाउडस्पीकर भी लगाए गए हैं।

आइये जानते हैं, आखिर क्यों 'हसुड़ी औसानपुर' गॉंव को मिला मोदी सरकार से दो-दो पुरस्कार ?

देश के अधिकतर गांव अभी तक कई मामलों में पिछड़ा है। लेकिन देश के 10 सबसे पिछड़े जिलों में से एक उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में हसुड़ी औसानपुर गांव में इस कदर विकास की बयार बही कि इस गांव को मोदी सरकार के द्वारा दो-दो राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। इस गांव के विकास मॉडल की चर्चा जोरों पर है। 

इस विकास का श्रेय युवा ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी को जाता है जिन्होंने इस गांव में इस कदर विकास किया कि यहाँ पर बढियाँ प्राइमरी स्कूल है। सीसीटीवी कैमरे, कम्युनिटी रेडियो सहित शानदार पंचायत भवन है। इस गाँव की जमीनों का पूरा ब्यौरा इंटरनेट पर उपलब्ध है। यहां के शत-प्रतिशत गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। गांव में संदेश पहुंचाने के लिए कई लाउडस्पीकर भी लगाए गए हैं। महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा का भाव जगाने के लिए घरों की पुताई गुलाबी रंग से की गई। गांव में महिलाओं के सशक्तीकरण को लेकर भी अभियान चलाए गए हैं।

इसमें दिलचस्प बात यह है कि इन कामों के लिए दिलीप त्रिपाठी ने खुद के भी पैसे लगाएं हैं। ये दूसरे जगहों के भी ग्राम प्रधान और ग्रामीणों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं ताकि ये भी अपने  गांव के विकास को सही रास्ते पर ले जा सके।

इसके पीछे यह भी कहा जा रहा है कि एक बार त्रिपाठी के माँ को बारिश की अँधेरी रातों में सांप ने काट लिया। लेकिन गांव से अस्पताल वाली सड़क इस कदर ख़राब थी कि अस्पताल तक जल्दी पहुँचाना मुश्किल हो गया। यही कारण रहा कि उनकी माँ की मृत्यु हो गयी।  

तभी त्रिपाठी ने ठान लिया कि गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाले कच्चे रास्ते को पक्का कराकर ही दम लेंगे। और उन्होंने ऐसा कर भी तब दिखाया जब वो ग्राम प्रधान नहीं थे। लेकिन इस काम से ग्रामीण इतने प्रभावित हुए की उन्हें आगामी ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने के लिए मना लिया। और इस प्रकार चुनाव में जीत हासिल करके उन्होंने गांव की तस्वीर ही बदलकर रख दी। हालाँकि दिलीप त्रिपाठी का कारोबार अच्छा चल रहा था। लेकिन गांव की मिट्टी का कर्ज चुकाने के लिए उन्होंने गांव के विकास में दिल खोलकर घर से पैसा लगाया। इस प्रकार त्रिपाठी के मेहनत के कारण केंद्र सरकार से हसुड़ी औसानपुर गांव को दो पुरस्कार- नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार और पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार प्राप्त हुआ।