महाराष्ट्र : मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने दिया इस्तीफा, शपथ ग्रहण के चौथे ही दिन गिरि सरकार,फडणवीस ने शिवसेना पर साधा निशाना
महाराष्ट्र में बीजेपी और एनसीपी के बागी विधायक अजित पवार की सरकार मंगलवार को गिर गई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। देवेंद्र फडनवीस ने पहले एक संवाददाता सम्मेलन में इस्तीफे का ऐलान किया और फिर राजभवन जाकर उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इससे पहले उनके साथ शपथ लेने नाले उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया था।
महाराष्ट्र में बीजेपी और एनसीपी के बागी विधायक अजित पवार की सरकार मंगलवार को गिर गई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। देवेंद्र फडनवीस ने पहले एक संवाददाता सम्मेलन में इस्तीफे का ऐलान किया और फिर राजभवन जाकर उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इससे पहले उनके साथ शपथ लेने नाले उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया था।
संवाददाताओं को संबोधित करते हुए देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वे उन सभी को शुभकामना देते हैं,जो भी सरकार बनाएंगे। लेकिन यह एक बहुत ही अस्थिर सरकार होगी क्योंकि इनके विचारों में बहुत अंतर है। शिवसेना पर आरोप लगाते हुए फडणवीस ने कहा कि जनता ने बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को जनादेश दिया था। लेकिन शिवसेना ने सौदेबाजी शुरू कर दिया था।
सत्ता की भूख इतनी है कि अब शिवसेना के नेता भी सोनिया गांधी के साथ सहयोगी होने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का संदेह है कि यह थ्री-व्हीलर सरकार स्थिर होगी। लेकिन बीजेपी एक प्रभावी विपक्ष के रूप में काम करेगी और लोगों की आवाज उठाने की कोशिश करेगी।
देवेंद्र फडणवीस ने इस बात से साफ इनकार किया कि शिवसेना के साथ कभी भी ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई बात नहीं हुई थी। हालांकि हमने शिवसेना का हमेशा इंतजार किया कि वह हमारे साथ आएंगे। लेकिन शिवसेना हमारे साथ आने के बजाय कांग्रेस और एनसीपी से बातचीत करना शुरू कर दिया।
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवसेना हमसे चर्चा करने की जगह एनसीपी से चर्चा कर रही थी। जो लोग मातोश्री से बाहर नहीं जाते थे वो बाहर जाकर चर्चा करने लगे। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने हमे सबसे पहले सरकार बनाने के लिए बुलाया और नंबर नहीं होने के चलते हम सरकार नहीं बना सके। फिर शिवसेना ने कहा हमारे पास नंबर तो है लेकिन समय चाहिए। एनसीपी भी सरकार नहीं बना सकी इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि तीन अलग-अलग विचारधारा के लोग चर्चा तो कर रहे थे, लेकिन सरकार नहीं बना रहे थे। तीनों का एक ही कॉमन मिनिमम कार्यक्रम था, बीजेपी को सत्ता से बाहर रखना। विधानसभा में जो एनसीपी के नेता थे, उन्होंने हमसे चर्चा की और फिर हमने सरकार बनाई। फडणवीस ने कहा कि इनका एजेंडा सत्ता में रहना है और उसके लिए इक्ट्ठा हुए हैं। हम अच्छे विपक्ष के रूप में काम करेंगे और लोगों की आवाज उठाएंगे।
गौरतलब है कि सोमवार को संख्या बल दिखाने के लिए शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस ने संयुक्त रूप से अपने 162 विधायकों की सार्वजनिक परेड आयोजित की। भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी अजित पवार गुट के 170 विधायकों का संख्या बल होने के दावे को गलत साबित करने के लिए पार्टियों द्वारा ऐसा किया गया।
आपको बताते चलें कि राजभवन में बीते शनिवार सुबह आठ बजे देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद और अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फढणवीस को बहुमत साबित करने के लिए 14 दिन का समय दिया। जिसके बाद कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना ने शपथ ग्रहण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर जलद से जल्द फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग की।
सुप्औरीम कोर्रट ने दो दिनों की सुनवाई के बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार को आदेश दिया है कि 27 नवंबर को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करा कर बहुमत सिद्ध कराया जाए। लेकिन अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
उधर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना की भी बैठक हुई, इसमें शाम 5 बजे गठबंधन का नेता चुने जाने का फैसला लिया गया। कांग्रेस ने बाला साहेब थोराट को प्रोटेम स्पीकर बनाने की मांग की है। कांग्रेस ने कहा कि वे विधानसभा में सबसे वरिष्ठ नेता हैं। थोराट 8 बार के विधायक हैं। थोराट को कांग्रेस विधायक दल का नेता भी चुना गया है। एनसीपी ने जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता चुना है।
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