बीजेपी के साथ नीतीश कुमार ने पूरा किया दो वर्ष का कार्यकाल 

बीते दो साल में बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि फिर चमकी है। जबकि राजद के समय उनका शासनकाल कमजोर साबित हो गया था। क्यूंकि राजद अध्यक्ष लालू यादव का नीतीश के शासन में काफी हस्तक्षेप था। जिसकी वजह से खुद भी नीतीश परेशान रहते थे। किसी भी अधिकारी के ट्रांसफर या पोस्टिंग में उन्हें सहयोगी की सहमति लेना होता था लेकिन बीजेपी के साथ शासन में ऐसा नहीं है। नीतीश का निर्णय सबको मान्य होता है।

बीजेपी के साथ नीतीश कुमार ने पूरा किया दो वर्ष का कार्यकाल 

बीजेपी के साथ नितीश कुमार ने बिहार में दो वर्ष का कार्यकाल आज पूरा कर लिया है। बीते दो सालों में बीजेपी के साथ नितीश के जो रिश्ते रहे हैं, उनमें नीतीश कुमार को नुकसान होता दिख रहा है। इन दो सालों से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गैर एनडीए दलों में बहुत मजबूत नेता माना जाता था। स्वयं नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई मौकों पर चुनौती दिया करते थे। और उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार भी माना जाता था। लेकिन अब हालात ये है कि पीएम नरेंद्र मोदी ही नीतीश कुमार के लिए चुनौती बन गए हैं ना कि नीतीश कुमार मोदी के लिए चुनौती। 

बीते दो साल में बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि फिर चमकी है। जबकि राजद के समय उनका शासनकाल कमजोर साबित हो गया था। क्यूंकि राजद अध्यक्ष लालू यादव का नीतीश के शासन में काफी हस्तक्षेप था। जिसकी वजह से खुद भी नीतीश परेशान रहते थे। किसी भी अधिकारी के ट्रांसफर या पोस्टिंग में उन्हें सहयोगी की सहमति लेना होता था लेकिन बीजेपी के साथ शासन में ऐसा नहीं है। नीतीश का निर्णय सबको मान्य होता है।

दूसरी ओर, बीते दो सालों में नरेंद्र मोदी को जब भी मौका मिला तो वो नीतीश के कद को कम करने की कोशिश करते रहे। लोकसभा चुनाव में बिहार में 40 सीटें मिलने के बाद भी नीतीश को कोई खास तवज्जों नहीं दी गयी। जेडीयू को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने की बात आई तो नीतीश कुमार के आनुपातिक प्रतिनिधित्व देने की मांग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खारिज कर दिया और दो टूक शब्दों में उन्हें अन्य सहयोगियों की तरह कैबिनेट में एक पद लेने का ऑफर किया। लेकिन इसे नीतीश ने नहीं माना और मंत्रिमंडल में शामिल होने से इंकार कर दिया। इसके बाद नीतीश कुमार के मन में नरेंद्र मोदी और बीजेपी के लिए खटास पैदा हो गयी। यही वजह है कि  संसद में तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान जेडीयू ने खुलकर इसका विरोध किया।