दिल्ली एनसीओर में बढ़ा प्रदूषण का स्तर, ईपीसीए ने उठाए  सख्त कदम, प्रतिबंधित डीजल जनरेटर के उपयोग पर लगी रोक

दिल्ली में मंगलवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 252 अंक दर्ज किया गया, जबकि नोएडा में यह आंकड़ा 310 पहुंच गया,जो कि बहुत खराब स्तर पर है।  दिल्ली समेत आसपास के शहरों को ढक रही स्मॉग की चादर आने वाले दिनों में और गहरी हो सकती है।  आशंका जताई जा रही है कि अगले 24 घंटे में प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा। दरअसल, दिल्ली के पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा के किसान अपने खेतों में पड़ी पराली को जला रहे हैं, जिससे जहरीला धुआं धीरे-धीर दिल्ली समेट एनसीआर को अपनी चपेट में लेता जा रहा है।

दिल्ली एनसीओर में बढ़ा प्रदूषण का स्तर, ईपीसीए ने उठाए  सख्त कदम, प्रतिबंधित डीजल जनरेटर के उपयोग पर लगी रोक
Pic of Traffice Police Constable with Mask In Delhi
दिल्ली एनसीओर में बढ़ा प्रदूषण का स्तर, ईपीसीए ने उठाए  सख्त कदम, प्रतिबंधित डीजल जनरेटर के उपयोग पर लगी रोक
दिल्ली एनसीओर में बढ़ा प्रदूषण का स्तर, ईपीसीए ने उठाए  सख्त कदम, प्रतिबंधित डीजल जनरेटर के उपयोग पर लगी रोक

देश में सर्दी ने अभी दस्तक नहीं दी है। लेकिन दिल्ली समेत एनसीआर में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है।  दिल्ली में मंगलवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 252 अंक दर्ज किया गया, जबकि नोएडा में यह आंकड़ा 310 पहुंच गया,जो कि बहुत खराब स्तर पर है।  दिल्ली समेत आसपास के शहरों को ढक रही स्मॉग की चादर आने वाले दिनों में और गहरी हो सकती है।  आशंका जताई जा रही है कि अगले 24 घंटे में प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा।

दरअसल, दिल्ली के पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा के किसान अपने खेतों में पड़ी पराली को जला रहे हैं, जिससे जहरीला धुआं धीरे-धीर दिल्ली समेट एनसीआर को अपनी चपेट में लेता जा रहा है। लगातार बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण प्राधिकरण यानी ईपीसीए ने प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए 15 अक्टूबर से आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर दिल्ली और आसपास के नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोनीपत, पानीपत और बहादुरगढ़ जैसे शहरों में प्रतिबंधित डीजल जनरेटर का उपयोग करने पर पूरी तरह रोक लगा दी है।

पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण प्राधिकरण ने कहा है कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में प्रदूषण के स्थानीय स्रोत खराब वायु गुणवत्ता के मुख्य कारण हैं। राजधानी दिल्ली में हर साल सर्दियों में वायु गुणवत्ता खराब हो जाती है।  सुप्रीम कोर्ट से अधिकार प्राप्त ईपीसीए की सदस्य सुनीता नारायण ने कहा कि कूड़े का ढेर और धूल के साथ साथ रबड़ कबाड़ और प्लास्टिक को खुले में जलाना चिंता का मुख्य कारण है।

सुनीता नारायण ने कहा कि बायोमास जलाने की घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ये दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति और बिगाड़ रही हैं, लेकिन तथ्य यह है कि प्रदूषण के स्थानीय स्रोत अत्यधिक हैं। बायोमास जलाने का योगदान 10 प्रतिशत है जिसका मतलब यह हुआ कि प्रदूषण के शेष 90 प्रतिशत कारण स्थानीय स्रोत हैं। इसके लिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली जिम्मेदार हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शहर में वायु गुणवत्ता में गिरावट के लिए पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने को जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन पृथ्वी विज्ञान की वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान सेवा मंत्रालय 'सफर' ने कहा है कि दिल्ली में पीएम 2.5 की सघनता में बायोमास जलने की हिस्सेदारी अब तक 10 प्रतिशत से कम रही है।

ज्ञात हो कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए क्रमिक कार्रवाई कार्ययोजना प्रभाव में आ गई है। स्थिति के हिसाब से निजी वाहनों को निरुत्साहित करने, डीजल जेनरेटरों के इस्तेमाल पर रोक, ईंट के भट्टे और स्टोन क्रशर बंद करने जैसे कठोर कदम तत्परता से उठाए जाएंगे।