प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोकराझार की जनसभा से वोडो समुदाय को दिया धन्यवाद,राहुल गांधी पर साधा निशाना,कहा-डंडे से बचने के लिए मां-बहनों का है आशीर्वाद
भारत सरकार और बोडो समुदाय के बीच हुए समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को असम के कोकराझार पहुंचे। संसद से नागरिकता कानून पास होने के बाद पहली बार कोकराझार पहुंचे प्रधानमंत्री ने एक रैली को संबोधित किया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन पर हमला बोला। प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी के डंडे वाले बयान का जिक्र करते हुए कहा कि उनके पास डंडे से बचने के लिए मां-बहनों का आशीर्वाद है।
भारत सरकार और बोडो समुदाय के बीच हुए समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को असम के कोकराझार पहुंचे। संसद से नागरिकता कानून पास होने के बाद पहली बार कोकराझार पहुंचे प्रधानमंत्री ने एक रैली को संबोधित किया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन पर हमला बोला। प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी के डंडे वाले बयान का जिक्र करते हुए कहा कि उनके पास डंडे से बचने के लिए मां-बहनों का आशीर्वाद है।
जनसभा का आयोजन बोडो समझौता के उपलक्ष्य में किया गया था। बीटीएडी (बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्स) जिलों- कोकराझार, बक्सा, उदलगुड़ी और चिरांग और पूरे असम के चार लाख से अधिक लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। इसमें राज्य के जातीय समूहों का सांस्कृतिक कार्यक्रम भी शामिल है। प्रधानमंत्री ने बोडो समझौते के लिए रैली के माध्यम से वहां के लोगों को धन्यवाद दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस जगह से उनका पुराना रिश्ता है, लेकिन आज जो उत्साह देखने को मिला है, वैसा कभी नहीं मिला। उन्होंने कहा कि अब इस धरती पर किसी भी मां के बेटे-बेटी का खून नहीं गिरेगा। हिंसा के अंधकार को अब इस धरती पर लौटने नहीं देंगे। आज का दिन संकल्प लेने का है कि विकास और विश्वास की मुख्य धारा को मजबूत करना है। आज का दिन असम सहित पूरे पूर्वोत्तर के लिए 21वीं सदी में एक नई शुरुआत, एक नए सवेरे का, नई प्रेरणा का स्वागत करने का है।
ज्ञात हो कि बोडो असम का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है। 2012 में हुए दंगों में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी। इसी साल जनवरी में असम में करीब 644 उग्रवादियों ने सरेंडर किया। सरेंडर करने वालों में 8 प्रतिबंधित संगठनों के उग्रवादी शामिल थे।
दरअसल, बोडो समझौता केंद्र सरकार और असम की बोडो जनजाति से जुड़े कुछ उग्रवादी संगठनों के साथ हुआ है। असम की बोडो जनजाति से जुड़े ये उग्रवादी काफी लंबे अरसे से अलग बोडोलैंड की मांग कर रहे थे। अलग बोडोलैंड की मांग को लेकर इन्होंने कई बार हिंसक विरोध प्रदर्शन और आगजनी और बम विस्फोट किए। 27 जनवरी 2020 को केंद्र सरकार और बोडो जनजाति के कुछ उग्रवादी संगठनों के साथ एक समझौता हुआ है।
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