“भविष्‍य की चाबियां होते हैं सपने”, ये है देवरिया की मान्‍या सिंह के सौंदर्य प्रतियोगिता तक पहुंचने की कहानी

सारी दुनिया उस वक़्त आश्चर्य चकित थी जब एक ऑटोरिक्शा चालक की बेटी ने ये खिताब अपने नाम किया और उनके साथ ऑटो में बैठकर अपने कॉलेज गयी। जब उन्होंने अपने माता-पिता के चरण स्पर्श किये, तो वह एक भावुक पल था। उनकी ये भावना सभी को संदेश देती है कि माता-पिता के आशीर्वाद, सच्‍ची लगन और अथक मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

“भविष्‍य की चाबियां होते हैं सपने”, ये है देवरिया की मान्‍या सिंह के सौंदर्य प्रतियोगिता तक पहुंचने की कहानी

हम और आप जब लॉकडाउन में अपने घरों में कैद थे, बुलंद हौसलों वाली ये लड़की अकेली रास्‍तों पर दौड़ रही थी। पैर की चोट, कमजोर इंटरनेट कनैक्‍शन और महंगे आउटफि‍ट उसके सामने कई बाधाएं आईं। और‍ किसी कुशल धावक की तरह वह हर बाधा को पार करती गई।

आज वे अपनी हम उम्र लाखों-करोड़ों लड़‍कियों की आदर्श बन चुकी हैं। वे जितनी हिम्‍मती हैं, उतनी ही विनम्र भी। अपने व्‍यस्‍त शेड्यूल के बावजूद उन्‍होंने हेल्‍थशॉट्स से बात करने का समय निकाला। पेश है उनसे हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश।

इस बार फेमिना मिस इंडिया में भाग लेने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया थी, तो आपने इसकी तैयारी कैसे की?

यह सब कुछ आसान नहीं था। इस पूरी प्रक्रिया में मेरी मैम ने मेरी बहुत सहायता की, उन्हीं के घर जाकर मैंने सारे इंटरव्यू दिए थे, क्योंकि मेरे घर में वाईफाई नहीं था। मैं सुबह ही उनके घर चली जाती थी क्योंकि 8 बजे से शूट शुरू होता था। इस पूरी प्रक्रिया के पीछे एक बहुत बड़ी टीम काम करती थी। इसलिए, मैं वक़्त पर तैयार होकर रेडी रहती थी। अगर मैं लेट होती तो सबकी मेहनत पर पानी फिर जाता।

क्या आपको मुश्किलों से डर नहीं लगा?

मुश्किल था लेकिन नामुमकिन नहीं था! मुझे पता था मेरा संघर्ष अभी लंबा चलेगा, ये रास्ता आसान नहीं हैं और मुझे रुकना नहीं है।

ग्रूमिंग क्लासेज के अलावा इस प्रतियोगिता के लिए खुद को कैसे तैयार किया?

कोरोना महामारी के दौरान सब कुछ थोड़ा मुश्किल हो गया था मेरे लिए। तभी एक्ट्रेस नताशा सूरी मेरे लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आईं। मैंने सुना था कि वो सबकी मदद करती हैं। इसलिए, मैंने उन्हें सोशल मीडिया पर संपर्क किया और तब से उन्होंने और अलेसिया मैम ने मेरी मदद की, मुझे अपना घर दिया।

उन्होंने मुझे ग्रूम करने में सहायता की। मेरे कपड़ों से लेकर मेकअप तक हर चीज़ का उन्होंने ख्याल रखा। यहां तक कि कांटेस्ट में भेजने के लिए पहला शूट भी उन्हीं की मदद से हो पाया। फिर एक के बाद एक मैं कठिनाइयों को पार करती गयी।

युवा पीढ़ी बहुत जल्दी हार मान लेती है और अवसाद में चली जाती है। पर आपने इतनी परेशानियों के बावजूद खुद को मोटिवेट रखा !

इस प्रतियोगिता के कुछ ही दिन पहले मेरा एक्सीडेंट हो गया, जिससे मेरे पैर पर काफी सूजन आ गयी थी और मैं चल भी नहीं पा रही थी। फिर भी मैंने हार नहीं मानी और दर्द को अपने रास्ते में आने नहीं दिया।

हारना और जीतना आपके मन पर निर्भर करता है। अगर आप में हौसला है, तो डिप्रेशन आपको छू भी नहीं सकता। आपका अथक परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता। डर सिर्फ आपके मन में होता है। जब आप एक बार ठान लेते हैं कि मुझे अपना लक्ष्य पाना है, तो आपके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है। मुझे पता था कि मुझे खुद को मोटिवेट रखना है, क्योंकि मैं ही अपना सबसे ज्‍यादा साथ दे सकती हूं। एक मजबूत स्‍त्री की तरह मैं आगे बढ़ी।

manya singh body final

वो क्‍या खास बात है, जो आपको अपनी नजर में औरों से अलग बनाती है?

मैंने बचपन से काम किया है। इसलिए मुझे पता है कि संघर्ष क्या होता है। मेरा लाइफ एक्सपीरियंस और कभी हार न मानने का जज़्बा ही मुझे सबसे अलग बनाता है। मुझे पता था कि मेरा संघर्ष लंबा चलेगा, इसलिए मैने कभी रुकने का नाम नहीं लिया। ये मेरे जीवन की पहली जीत है। 16 साल की उम्र से लेकर 20 साल की उम्र तक, मैंने सिर्फ संघर्ष ही किया है। मैं ज़मीन पर थी और मुझे पता था कि मुझे चांद छूना है।

आप जिस प्रतियोगिता में शामिल हुईं, उसके ज्‍यादातर प्रतिभागी एक अलग वर्ग से आते हैं। कभी खुद को कमतर महसूस नहीं किया?

मैंने कभी भी खुद को किसी के साथ कम्पेयर नहीं किया। हालांकि एक से एक सुन्दर लड़कियां थीं और सभी अपनी जगह मेहनत कर रहीं थीं। मैं ऐसा मानती हूं कि सुन्दरता आपके अन्दर होती है, बस आपको उसे बाहर लाना है। मुझे खुद पर पूरा भरोसा था, इस बार न सही तो अगली बार, लेकिन मुझे यह प्रतियोगिता जीतनी ही थी।

आपके विचार में असली सुंदरता क्‍या है?

विचारों की खूबसूरती ही सब कुछ है। जैसे एक छोटा सा शिशु, सबको सुन्दर लगता है, सभी को ख़ुशी देता है और कोई उसका आंकलन उसके रंग-रूप से नहीं करता। बस उसकी एक हंसी सबका मन-मोह लेती है, ठीक वैसी ही सुन्दरता है। हुम खुद को कैसे देखते हैं, खुद से कितना प्यार करते हैं ये सबसे ज़रूरी है।

एक बार जब आप खुद से प्यार करने लगते हैं, तो सारी दुनिया सुन्दर लगती है और खुद पर भरोसा होने लगता है। आपका रंग और कद-काठी कैसी है यह मायने नहीं रखता।

आपका फि‍टनेस रूटीन और डाइट कैसी रहती है?

कोरोना महामारी के दौरान मुझे पता था कि घर पर रहूंगी, तो सेहत ख़राब हो सकती है। इसलिए हर सुबह रनिंग करने जाती थी। साथ ही योगा करना भी शुरू किया। मेरा मानना है कि खाना दिल से खाना चाहिए सोच कर नहीं!

और जहां तक डाइट की बात आती है तो मैं दाल, चावल, रोटी, सब्जी यानी घर का बना सब कुछ खाती हूं पर एक सीमित मात्रा में। जैसे दाल बिना तड़के की और सादा रोटी। इसके अलावा खुद को तनाव मुक्त रखती हूं। खूब सारा पानी पीती हूं और खूब हंसती हूं। मेरे लिए मेरी मम्‍मी के हाथ का बना खाना सबसे हेल्‍दी फूड है।

मम्‍मी ही आपकी प्रेरणा स्रोत भी हैं ?
मेरी मां से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। वो कहती रहीं हैं, जब तुम कामयाब हो जाओगी तो दुनिया का मुंह बंद हो जायेगा। कितनी भी मुश्किलें क्यों न हो, वे हर चीज़ का मुस्कुराकर सामना करती है। उन्होंने हमेशा मुझे सपोर्ट किया है। कभी भी मुझे किसी और के साथ कम्पेयर नहीं किया। कभी ये महसूस नहीं करवाया कि अगर मेरा बेटा होता, तो ज्यादा अच्छा होता। मेरे सपने का उन्होंने हमेशा साथ दिया। वो मेरे लिए हमेशा एक दोस्त की तरह रहीं हैं।

manya singh

 

सारी दुनिया उस वक़्त आश्चर्य चकित थी जब एक ऑटोरिक्शा चालक की बेटी ने ये खिताब अपने नाम किया और उनके साथ ऑटो में बैठकर अपने कॉलेज गयी। जब उन्होंने अपने माता-पिता के चरण स्पर्श किये, तो वह एक भावुक पल था। उनकी ये भावना सभी को संदेश देती है कि माता-पिता के आशीर्वाद, सच्‍ची लगन और अथक मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।